पटना: पहली फरवरी से लागू राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ सभी चयनित परिवारों को नहीं मिल रहा है. योजना लागू होने के तीन माह बीत गये, लेकिन अधिकतर परिवारों को एक बार भी राशन नहीं मिला है. अप्रैल में अनाज आवंटित तो हुआ, लेकिन कार्ड नहीं होने से राशन मिलने में परेशानी हुई. बाद में जिला प्रशासन ने सूची के आधार पर राशन बांटने का निर्देश दिया. सूची के आधार...
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कैसे पूरे हो पाएंगे किसानों से किए वायदे- हरवीर सिंह
केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के दस साल के कार्यकाल के बाद अब एक ऐसी नई सरकार की उम्मीद लोग लगा रहे हैं, जो केवल देखने में ही मौजूदा गठबंधन से अलग नहीं होगी, बल्कि कामकाज के तरीके के मामले में भी अलग होगी। ऐसे में सत्ता पर काबिज होने की उम्मीद रखने वाले बड़े दल महंगाई को काबू में लाने और विकास की गति को तेज करने के...
More »गांवों के विकास पर अरबों का सालाना खर्च- आर के नीरद
मित्रों, केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, ग्रामीण विकास पर सब का जोर है. गांवों के विकास से ही देश का विकास संभव है, यह सभी जानते हैं. देश की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है, यह सच भी सब को पता है. जाहिर है कि विकास के सवाल पर जब भी बात होगी, गांव उसका सबसे बड़ा विषय होगा. आजादी से अब तक गांवों के विकास के लिए सरकार ने अनेक...
More »मानसून की कमजोरी से धनखेती में किसानों का नहीं चलेगा जोर
जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़ : मौसम विभाग इस वर्ष मानसून कमजोर रहने की संभावना जता रहा है, लेकिन कृषि विभाग ने इसे लेकर अभी तक कोई योजना तैयार नहीं की है। किसान अभी भी अपने खेतों को धान की रोपाई के लिए तैयार करने में जुटे हुए हैं। मानसून कमजोर होने के बाद किसानों को धान की फसल तैयार करने में किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, कृषि विभाग...
More »कहानी कुछ जैविक ग्रामों की- अमृतांज इंदीवर
अंधाधुंध पेस्टीसाइड्स व फर्टिलाइजर के उपयोग से मिट्टी, पानी व हवा ऊसर होते जा रही है। जहां किसान पहले खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा 3-5 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से देते थे, वहीं आज 10-20 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से दिया जा रहा है। इसकी वजह से धरती पर ग्रीन हाउस बन रहा है और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे बढ़ रहे हैं। यह परिस्थितिकीय चक्र को प्रभावित कर रहा है। परिणामस्वरूप खेत बंजर हो रहे हैं,...
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