किसी भी दौर में सरकार की ताकत से लड़ना मजाक नहीं होता। लेकिन यह भी सच है कि सरकार और उसके विरोध के साथ ही लोकतंत्र का विकास हुआ है और भविष्य में भी होता रहेगा। इस वजह से सरकार की मुखालफत आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी 1971, 1975 और 1977 में थी। क्या वाकई पूरी दुनिया में ऐसी कोई शख्सियत थी, जिसने कानून की अदालत में और...
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अंदेशे के भय से अतिरंजित प्रतिक्रिया - ए. सूर्यप्रकाश
पहली नजर में संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती के सामूहिक विरोध के पीछे कोई तर्क नजर नहीं आ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने स्वयं कबूला है कि उन्होंने अभी तक इस फिल्म को नहीं देखा है, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में खासकर राजपूत समुदाय और अन्य हिंदू जातियों के लोग सड़कों पर आकर फिल्म को प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं। उनकी चिंता इस बात को लेकर ज्यादा...
More »चेक बुक की सुविधा बंद करने का कोई विचार नहीं : वित्त मंत्रालय
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट के द्वारा यह कहा कि सरकार का चेक बुक को बंद करने का कोई इरादा नहीं है। यह स्पष्टीकरण मीडिया के कुछ हिस्सों में उन खबरों के बाद आया है जिसमें कहा जा रहा था कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार निकट भविष्य में चेकबुक सुविधा वापस ले सकती है। वित्त मंत्रालय के ट्विटर हैंडल ने एक के बाद एक तीन ट्वीट...
More »बुनियादी ढांचा सुधरने से थमेंगी कीमतें-- रमेश कुमार दुबे
बंपर उत्पादन और तमाम सरकारी उपायों के बावजूद महंगाई दर में बढ़ोतरी से साबित होता है कि वितरण के मोर्चे पर अभी बहुत कुछ करना है। पिछले साढ़े तीन वर्षों में मोदी सरकार ने ग्रामीण सड़कों, सिंचाई, फसल बीमा और बिजली आपूर्ति के क्षेत्र में अहम सुधार किया है लेकिन भंडारण-विपणन ढांचे में सुधार अभी भी दूर की कौड़ी बना हुआ है। यही कारण है कि कुछ महीने पहले तक...
More »दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने दगा किया, नये साल में खाद्यान्न उत्पादन कम होने के आसार
आशंका है कि खाद्यान्न उत्पादन के मामले में चालू कृषिवर्ष पिछले साल (2016-17) के मुकाबले फीका साबित हो. कृषि मंत्रालय के शुरुआती आकलनों से पता चलता है कि 2017-18 में खरीफ फसलों का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 2.8 प्रतिशत घट सकता है. साल 2017-18 में खरीफ की फसलों का खाद्यान्न उत्पादन 134.7 मिलियन टन रहने का अनुमान है जबकि 2017-18 में खरीफ में खाद्यान्न का उत्पादन 185.5 मिलियन टन हुआ था. गौरतलब...
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