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पीछे हटने को तैयार है मोदी सरकार? - परंजॉय गुहा ठाकुरता

यह तो खैर पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि संसद का मानसून सत्र न केवल हंगामाखेज रहेगा, बल्कि वह पूरी तरह से 'धुल" भी सकता है। अब जब ऐसा वस्तुत: होता नजर आ रहा है तो यह किसी के लिए भी अप्रत्याशित नहीं है। सवाल यही था कि क्या इसके बाद मोदी सरकार अपनी नीतियों में बुनियादी बदलाव लाने को मजबूर होगी। संसद में विधायी कार्य ठप...

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छत्‍तीसगढ़ में नई तकनीक की खेती से फल-सब्जी में हो रहा इजाफा

राजनांदगांव। छत्‍तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के किसान अब पारंपरिक फसलों की खेती के साथ फल-सब्जियों की खेती में भी बड़ी हिस्सेदारी निभा रहे हैं। बीते पांच साल में हार्टिकल्चर एरिए में बड़ी तेजी के साथ बढ़त दर्ज की गई है, जिसका परिणाम है कि अब जिले में पैदा होने वाली फल व सब्जियां अन्य प्रदेशों तक पहुंच रही है, जिसका फायदा किसानों को मोटे मुनाफे के रूप में मिल रहा...

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देश को सीटीओ की दरकार- राजीव चंद्रशेखर

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम लोगों को सशक्त बनाएगा और वास्तव में भारत को बदल डालेगा। मौजूदा केंद्र सरकार ने 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' का जो वायदा किया है, उसे साकार करने में यह प्रमुख भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'न्यूनतम सरकार' की परिभाषा में एक ऐसे सरकार की परिकल्पना है, जिसमें मंजूरी की आवश्यकता न्यूनतम हो और नागरिकों के साथ उसका निरंतर संवाद हो। इसी तरह से 'अधिकतम...

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देश के हृदय को बचाने की पहल- विनीत नारायण

विगत जनवरी में शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री की चहेती योजना ‘हृदय' की शुरुआत की। इस योजना का लक्ष्य देश के पुरातन शहरों को सजा-संवारकर दुनिया के आगे प्रस्तुत करना है, जिससे भारत की आत्मा यानी यहां की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण हो सके। इसीलिए अंग्रेजी में जो नाम रखा गया है, उसके प्रथम अक्षरों को मिलाकर ‘हृदय' शब्द बनता है। योजना का उद्देश्य प्रशंसनीय है, क्योंकि जागरूकता के...

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जमीन पर न उतर सकीं अरबों की रेल परियोजनाएं

दिलीप सिंह, अमेठी। सरकार क्या बदली, योजनाओं की रफ्तार भी थम गई यहां। विकास मीलों पीछे और राजनीति कोसों आगे हो गई है। अमेठी व रायबरेली के लोगों की उम्मीदें "राजनीतिक शिकार" हो गई हैं। यहां कभी गाजे-बाजे के साथ शिलान्यास की गई अरबों की रेल परियोजनाओं की शिलाएं अपनी दुर्दशा पर जार-जार रो रही हैं। यह तो बानगी भर है जनाब। न जाने और कितनी योजनाएं अपने पूरा होने की...

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