सुरेंद्र मोहन जी की चिता जलती देखकर फ़िर एक बार मन में विचार आया. इंडिया गेट पर ’अमर जवान ज्योति’ की तरह देश में कहीं-न-कहीं एक गुमनाम राजनैतिक कार्यकर्ता का स्मारक भी बनना चाहिए. बदन पर सादा, बिना प्रेस किया कुर्ता-पाजामा, पैर में रबड़ की चप्पल, कंधे पर झोला और आंखों में चमक. मूर्ति के नीचे लिखा जा सकता है ‘पूर्णकालिक राजनैतिक कार्यकर्ता’. जैसे सुरेंद्र मोहन जी थे.और कुछ नहीं तो...
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ये भला कैसा वेदांत?- सुनीता नारायण
कच्चे माल की मांग का बढ़कर सिर चकरा देने वाले 1.6 करोड़ टन प्रति वर्ष पर पहुंच जाने को लेकर पड़ने वाले पर्यावरण के प्रभावों का अभी तक आकलन ही नहीं किया गया है। इतना सारा बाक्साइट कहां से आएगा? इसके लिए कितनी नई खदानों की जरूरत होगी? कितना अतिरिक्त जंगल काटा जाएगा? कितना पानी निगल लिया जाएगा, कितना साफ पानी भयानक गंदा हो जाएगा?पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा उड़ीसा...
More »खरे उतरे जलवायु वैज्ञानिकों के निष्कर्ष
इंग्लैंड के ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय की जलवायु परिवर्तन शोध इकाई के निष्कर्षों की स्वतंत्र समीक्षा करने वाली समिति का कहना है कि जलवायु वैज्ञानिकों ने पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ काम किया है। समीक्षा समिति का कहना है कि “वैज्ञानिकों के निष्कर्षों में कोई त्रुटि नहीं है लेकिन उन्होंने अपने काम की पूरी जानकारी देने में कोताही बरती है और निष्कर्षों का बचाव करने की कोशिश की है।” कोपनहेगन के...
More »कानकुन समझौताः डूबते को तिनका
स्पेनी में एक कहावत है, ‘माल कैसा भी हो हांक हमेशा ऊंची लगानी चाहिए।’ मैक्सिको के कानकुन शहर में हुए जलवायु सम्मेलन से लौट रहे 194 देशों के मंत्री शायद इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए सम्मेलन में हुए समझौतों की तारीफ़ कर रहे हैं। सम्मेलन के मेज़बान मैक्सिको के राष्ट्रपति फ़िलीपे काल्डिरोन ने कहा कि इस सम्मेलन ने विश्व के नेताओं के लिए धरती को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के...
More »अनुत्तरित रहा पर्यावरण का प्रश्न- सुनीता नारायण
इसमें कोई संदेह नहीं कि कानकुन बैठक से दुनिया के देशों को बहुत कम उम्मीद थी और नतीजा भी ठीक वैसा ही रहा। कोपेनहेगन बैठक में शेष विश्व और औद्योगिक देशों के बीच जिन बिंदुओं को लेकर तकरार थी उनका कोई समाधान नहीं निकला। अब चर्चा का बिंदु इस पर है कि किसे कितना ज्यादा प्रदूषण फैलाने का अधिकार है अथवा होना चाहिए। आर्थिक लाभ और पर्यावरण संतुलन को लेकर पूरा विश्व...
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