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विकास का नया भारतीय मॉडल - वीएन कौल

इस बात का अपने आपमें एक प्रतीकात्मक महत्व था कि नीति आयोग 1 जनवरी 2015 को अस्तित्व में आया। यह नए साल में नई सरकार के नए दृष्टिकोण को दर्शाने वाला कदम था। नीति आयोग ने जिस योजना आयोग की जगह ली, उसका मूल विचार प्रो. मेघनाद साहा के दिमाग की उपज था, जिन्होंने वर्ष 1938 में समाजवादी शैली में संचालित होने वाली एक राष्ट्रीय योजना समिति की परिकल्पना की...

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बैंकों की दशा सुधारने की कवायद- धर्मेंन्द्रपाल सिंह

देश की अर्थव्यवस्था से आजकल अजीब इशारे मिले हैं। बीते अक्तूबर में औद्योगिक उत्पादन 4.2 फीसद गिरा। जुलाई से सितंबर की तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर 5.3 प्रतिशत दर्ज की गई। सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पूरा जोर लगा रखा है, लेकिन देशी-विदेशी पूंजीपति नया निवेश करने से कतरा रहे हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हमारा देश ‘बैलेंस शीट रिसेशन' के...

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निजी बैंक जन धन खाता खोलने में सरकारी बैंकों से बेहद पीछे

नई दिल्ली। सरकारी बैंकों के मुकाबले ग्राहकों को सेवा देने में आमतौर पर आगे रहने वाले निजी बैंक प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत खाते खोलने के मामले में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। यहां तक कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) भी निजी बैंकों से कहीं आगे हैं। केवल निजी बैंकों में देखा जाए तो एचडीएफसी बैंक ने सबसे ज्यादा खाते खोले हैं। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक प्रधानमंत्री जन-धन...

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क्या वाकई बहुरेंगे रेडियो के दिन- गोविन्द सिंह

यों तो बीते साल बहुत-सी बातें पहली बार हुईं, लेकिन मीडिया के क्षेत्र में जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात हुई, वह थी, रेडियो को मिली अप्रत्याशित तवज्जो। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो को अपने 'मन की बात' कहने के लिए चुना, उससे यह उम्मीद बंधी कि आने वाले दिनों में रेडियो के दिन बहुरेंगे। इंदिरा गांधी के बाद शायद मोदी ही ऐसे राजनेता हैं, जिसने रेडियो...

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विदेशी कंपनियां नहीं लाएंगी अच्छे दिन - डॉ. भरत झुनझुनवाला

वर्ष 2005 से 2010 के बीच देश की अर्थव्यवस्था 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी। अरबपतियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही थी। फिर भी जनता में असंतोष था, जिसका परिणाम संप्रग सरकार को 2014 के चुनाव में झेलना पड़ा। मोदी सरकार के सामने 2015 की चुनौती विकास को आम जनता तक पहुंचाने की है। हमारी वर्तमान विकास दर 5 से 6 प्रतिशत के बीच है।...

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