जनसत्ता 25 फरवरी, 2014 : भारत में राज्यों के पुनर्गठन का प्रश्न नया नहीं है। यह लगातार यक्ष प्रश्न बना रहा है कि आखिर इतने विविधतापूर्ण देश में राज्यों के पुनर्गठन का एक सर्व-स्वीकार्य और जायज तार्किक आधार क्या हो? साथ ही पृथक तेलंगाना का यह विवाद भी नया नहीं है और जितना हो-हल्ला इस मसले पर हमने पिछले दिनों में देखा उसकी एक लंबी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। 1956 में संसद...
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हाइब्रिड बीज से गेहूं की जगह उग आई 'खतरनाक' घास
कोटद्वार में गेहूं की बंपर पैदावार की चाहत में हाइब्रिड बीज बोने के बाद फसल पर नजरें गड़ाए बैठे सैकड़ों किसानों की आंखें उस समय फटी की फटी रह गईं जब उन्हें अपने खेतों में गेहूं की कुछ और दिखाई दिया। किसानों ने गौर से देखा तो पाया कि गेहूं तो कम जमे हैं पर एक नई तरह की घास ज्यादा उगी है, जिसे पहली बार ही देखा भी। इस घास...
More »गुजरात मॉडल की असलियत- कृष्ण स्वरुप आनंदी
जनसत्ता 19 फरवरी, 2014 : गुजरात का विकास चर्चा का विषय बना दिया गया है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि अन्य राज्यों के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे देश के लिए भी एक बेहतरीन अनुकरणीय मॉडल गुजरात ने प्रस्तुत किया है। उस मॉडल को देशव्यापी बनाने का सपना जोर-शोर से लोगों को दिखाया जा रहा है। विकास, सुशासन, समृद्धि, रोजगार सृजन जैसे शब्द तेजी से हवा में उछाले...
More »अगले वित्त वर्ष में 9.5 लाख टन नेचुरल रबड़ उत्पादन का लक्ष्य
भारत ने वित्त वर्ष 2014-15 में 9.5 लाख टन नेचुरल रबड़ उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। रबड़ बोर्ड की चेयरपर्सन शीला थॉमस ने बुधवार को बताया कि चालू वित्त वर्ष में अब तक देश में कुल 8.5 लाख टन नेचुरल रबड़ का उत्पादन हो चुका है। थॉमस ने कहा कि हमारा अनुमान है कि 31 मार्च 2014 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष तक देश में नेचुरल रबड़ का उत्पादन बढ़कर नौ...
More »जैविक खेती के प्रति बढ़ा रुझान अब सर्टिफिकेशन का इंतजार
रांची से तकरीबन 40 किमी दूर कुच्चू पंचायत के डिमरा गांव के सोहराय बेदिया इस बार 10 एकड़ जमीन पर सेम की खेती कर रहे हैं. उनके खेतों में सेम की लताएं फलियों से भरी हैं. यह अपने आप में अजीब नजारा है कि जब उनके आसपास के तमाम खेत परती पड़े हैं, पानी के अभाव में कोई किसान खेती करने के लिए तैयार नहीं है. उनके खेत लहलहा रहे हैं. वे...
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