कुपोषण के बारे में अक्सर मान लिया जाता है कि यह तो गरीब राज्यों का लक्षण है और अपेक्षाकृत समृद्ध राज्य कुपोषण को मिटाने की राह पर हैं। लेकिन सच्चाई इसके उलट है। कुपोषण की शिकार महिलाओं और औसत से कम वजन के बच्चों की एक बड़ी तादाद धनी माने जाने वाले राज्यों में मौजूद है और ध्यान रहे कि इन दोनों को मानव-विकास के निर्देशांक में बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता...
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ना ना करो बहाना करो- प्रभाष जोशी
फरियादी भी थे, और मुंसिफ भी था-फरियाद हुई मगर फैसला नहीं हुआ। कारण, मुंसिफ बीच बहस से उठकर चला गया। कुछ ऐसा ही नजारा पेश आया जयपुर स्थित स्थानीय विश्वविद्यालय के मानविकी विभाग के सभागार में। मौका था मजदूर किसान शक्ति संगठन और साथी संगठन द्वारा आयोजित जन-सुनवाई का और शिकायतें थीं राजस्थान के सूचना आयुक्त के कार्यालय से। सूचना आयुक्त एम डी कौरानी आये और सैकड़ों फरियादियों से भरी...
More »कपास का निर्यात नए सीजन में बढ़ेगा
नए सीजन में घरेलू बाजार भाव विदेशी मूल्य से कम रहे तो कॉटन का निर्यात इस साल के मुकाबले काफी बेहतर रह सकता है। वर्ष 2009-10 में भारत से कॉटन का निर्यात दोगुना होकर 65 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) तक पहुंचने की उम्मीद है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) के उपाध्यक्ष नयन सी. मीरानी के अनुसार वर्ष 2008-09 में घरेलू बाजार में भाव तेज होने और अंतरराष्ट्रीय बाजार...
More »अपेक्स बैंक व नाबार्ड में समझौता
राजस्थान में अल्पकालीन सहकारी ऋण व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए शनिवार को राज्य सरकार, राजस्थान राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) और नाबार्ड के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ है। इस समझौते से राज्य के किसानों को ज्यादा मात्रा में सहकारी ऋण मिल सकेंगे। समझौते के बाद नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक मुरलीधर राव ने कहा कि राजस्थान की अल्पकालीन सहकारी संस्थाएं बेहतर तरीके से काम कर रही है। राज्य के 29...
More »दुष्काल, अकाल, सूखा सबके जिम्मेवार हम ही
आने वाले 15 वर्षों में भारत के खाद्यान्न का कटोरा अर्थात पंजाब और हरियाणा सूखाग्रस्त हो जाएंगे। वहां की धरती में सिंचाई के लिए पानी नहीं रह जाएगा। केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड की 2007 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 में सिंचाई के लिए भूमिगत जल उपलब्धता ऋणात्मक हो जाएगी। उदाहरण के लिए पंजाब में जितना जल जमीन में समाता है उससे 45 प्रतिशत अधिक जल खींच लिया जाता...
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