जनसत्ता 25 मई, 2013: भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, स्वास्थ्य क्षेत्र संकट की स्थिति में है। गांवों के लिए विशेष स्वास्थ्य मिशन स्थापित करने के बावजूद अधिकतर जरूरतमंद गांववासियों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं, या इन्हें प्राप्त करने के लिए उन्हें असहनीय खर्च करना पड़ता है। इलाज पर आने वाला खर्च कर्जग्रस्त होने और गरीबी में धकेले जाने का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। इस...
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आठ वर्ष में दूध का उत्पादन 80 मिलियन बढ़ाना होगा
अहमदाबाद [शत्रुघ्न शर्मा]। भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 291 ग्राम है जबकि विकसित देशों में 500 ग्राम है, बढ़ती जनसंख्या के साथ देश को अगले आठ वर्ष में दूध का उत्पादन 80 मिलियन टन बढ़ाना होगा। भारत सरकार ने इसके लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को नेशनल डेयरी योजना सौंपी है जिसके तहत जानवरों की नस्ल सुधार के साथ दूध के उत्पादन को बढ़ाया जाएगा, देश के 40 हजार...
More »यूआईडी पर विशेष आलेख- बारह अंकों का रहस्य- खतरा या समाधान- गोपालकृष्ण
भारत में एक नया रिवाज चल पड़ा है। वह यह कि दुनिया के विकसित देश जिस योजना को खारिज कर देते हैं, हमारी सरकार उसे सफलता की कुंजी समझ बैठती है। विशेष पहचान संख्या (यूआईडी) इसकी ताजा मिसाल है। मोटे तौर पर तो यह बारह अंकों वाला एक विशिष्ट पहचान पत्र है, जिसे देशवासियों को सूचीबद्ध कर उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन यही पूरा सच नहीं है। विशेषज्ञों की...
More »अंगदान और सामाजिक पूर्वग्रह- सुभाष गताडे
जनसत्ता 20 अक्टुबर, 2012: दिल्ली के एक अग्रणी अस्पताल में पिछले दिनों एक अलग किस्म के सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। महज सत्रह साल की उम्र में दुर्घटना की शिकार हुई पायल (बदला हुआ नाम)- जिसे डॉक्टरों ने ब्रेन-डेड घोषित किया था उसके माता-पिता इस समारोह के केंद्र में थे, जिनके बेहद कठिन निर्णय से तीन लोगों की जिंदगी बची और दो लोगों की दृष्टि वापस लौटी। निश्चय ही उनके लिए...
More »भूखे देश से अनाज का निर्यात- देविंदर शर्मा
कोई और देश यहां भूख मिटाने नहीं आयेगा. संविधान में भी कहा गया है कि लोगों की भूख मिटाना सरकार का दायित्व है. ऐसे में भूखे लोगों की उपेक्षा कर अनाज का निर्यात अपराध ही है. देश में बंपर फसल को देखते हुए अनुमान है कि आगामी एक जून तक गेहूं और धान का भंडार करीब 7.5 करोड़ टन का हो जायेगा. दूसरी ओर देश में 32 करोड़ लोग आज भी...
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