चुनाव अभियान पूरे देश में जोर-शोर से जारी है, लेकिन इसमें न किसान कहीं दिख रहा है और न किसान की चिंता। जहां भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कृषि और उससे जुड़े उद्योगों पर निर्भर है, वहां उस तबके की उपेक्षा हैरान करने वाली है। यह भी खबर आ रही है कि इस बार प्रमुख पार्टियों का ध्यान उन 250 सीटों पर ही है, जिनके बारे में माना जा...
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गुजरात मॉडल की असलियत- कृष्ण स्वरुप आनंदी
जनसत्ता 19 फरवरी, 2014 : गुजरात का विकास चर्चा का विषय बना दिया गया है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि अन्य राज्यों के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे देश के लिए भी एक बेहतरीन अनुकरणीय मॉडल गुजरात ने प्रस्तुत किया है। उस मॉडल को देशव्यापी बनाने का सपना जोर-शोर से लोगों को दिखाया जा रहा है। विकास, सुशासन, समृद्धि, रोजगार सृजन जैसे शब्द तेजी से हवा में उछाले...
More »इंदिरा आवास का बिजली बिल 62 हजार,जनता दरबार में पहुंचा मामला
पटना: औरंगाबाद से आये चरित्र यादव ने जनता दरबार कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताया कि उन्होंने इंदिरा आवास योजना से मकान बनवाया है. घर में सिर्फ एक बल्ब जलता है. एक साल में बिजली विभाग ने 62 हजार का बिल भेज दिया है. गरीब आदमी हैं, इस बिल का भुगतान कैसे कर सकते हैं. इस मामले को लेकर वे यहां छह बार आये हैं. पहली बार मुख्यमंत्री से...
More »गन्ने की कीमत से आगे- अपूर्वानंद
जनसत्ता 10 दिसंबर, 2013 : उत्तर प्रदेश से अब गन्ना उगाने वाले किसानों के मिल मालिकों से संघर्ष की खबरें आ रही हैं। यह संघर्ष जोरदार है। और एक तरह से इसे सफल जन संघर्ष कहा जा सकता है। इसने मुजफ्फरनगर की तीन महीने से चली आ रही हिंसा की खबरों को पीछे धकेल दिया है। कम से कम हिंदी अखबारों में। इस आंदोलन में भारतीय राष्ट्रीय लोक दल के लोग...
More »किसानों के हक में होगा यह कानून
119 साल पुराने भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन पर संसद ने इस हफ्ते मुहर लगा दी है। उद्योग जगत प्रस्तावित कानून को औद्योगिकीकरण के लिए नुकसानदेह बता रहा है, तो दूसरी तरफ ऐसा तबका भी है, जो मानता है कि यह बदलाव किसानों के हितों के लिहाज से पर्याप्त नहीं है। इस विधेयक को पारित कराने के सूत्रधार केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश से विजय गुप्ता ने बातचीत की- आकस्मिक...
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