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नजरें अब अगले बजट पर रहेंगी-- आर. सुकुमार

अगले साल हमारी संसद में कामकाज कुछ जल्दी ही शुरू हो जाएगा। शीतकालीन सत्र के पूरी तरह बेकाम चले जाने व जीएसटी यानी वस्तु और सेवा कर को लागू करने की समय-सीमा टलने के खतरे को देखते हुए सरकार जनवरी के दूसरे सप्ताह से संसद का बजट सत्र बुला सकती है। आम बजट भी एक फरवरी को पेश किया जाएगा। मुझे आगामी बजट में लोक-लुभावन घोषणाओं की उम्मीद है। बीते...

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सहकारी संघवाद चलाना मुश्किल -- संदीप मानुधने

आज के राजनीतिक विवादों (विशेषकर नोटबंदी के बाद के संघर्ष) को देखें, तो सवाल उठता है कि भारत संघात्मक है या एकात्मक? इसका विश्लेषण इतिहास, संविधान और आर्थिक वास्तविकताओं को समझने से हो सकेगा. सहयोगी संघवाद (कोआॅपरेटिव फेडेरलिज्म) वह दृष्टिकोण है, जिसमें राष्ट्रीय और राज्य सरकारें साझा समस्याओं को सुलझाने के लिए परस्पर सहयोग करती हैं. इसके सफल परिचालन के लिए शक्तियों का एक संघीय संतुलन निर्मित करना...

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दलाली ऐसी कि जाती ही नहीं-- अनिल रघुराज

अपने समाज में हर तरफ दलाली का बोलबाला है. जिधर भी देखिये, दलाल ही दलाल. पेशे की दलाली को छोड़ दीजिये. अब तो हर पेशे में दलालों ने ठौर बना लिया है. जो जितना बड़ा दलाल है, वह उतना ही रसूख और दौलत वाला है. लेकिन, किसी को गलती से भी दलाल कह दो, तो उखड़ कर आपको जाने क्या-क्या कह डालता है. कारण, दलाली के लिए छवि का बड़ा...

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कुपोषण से कैसे लड़ सकते हैं-- रीतिका खेड़ा

हाल ही में जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2016 में 118 देशों की सूची में भारत को 97वें स्थान पर रखा गया है। हममें से जो लोग भारत में भूख और पोषण से संबंधित मुद्दों की उपेक्षा के लिए चिंतित रहते हैं, उनके लिए ये आंकड़े बड़ी खबर हैं, जिसने मीडिया का भी ध्यान खींचा है। कुपोषण एक ऐसी समस्या है, जो विभिन्न पीढ़ियों में पाई जाती है। एक कुपोषित मां द्वारा एक...

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काले धन के खिलाफ लंबी है लड़ाई - संजय कपूर

पिछले दिनों जब केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह घोषणा कर रहे थे कि सरकार की आय घोषणा योजना-2016 (आईडीएस-16) के तहत देशभर में 65,250 करोड़ रुपए का खुलासा हुआ, तो वहां मौजूद मीडियाकर्मियों के अलावा इसे लाइव देख रहे लोगों के चेहरे पर हैरानी काभाव साफ नजर आया। 4 महीने की इस एमनेस्टी स्कीम के तहत देशभर में उन लोगों ने अपनी अघोषित आय...

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