भारत के संविधान में गांव की कोई परिभाषा नहीं है. जब गांव ही नहीं है, तो ग्राम गणराज्य भी नहीं है. यह बड़ा विरोधाभास है. महात्मा गांधी गांव गणराज्य की बात करते थे. वे आजादी का असली अर्थ गांवों की समरसता, आत्मनिर्भरता और लोकतंत्र में जन भागीदारी को मानते थे. देश आजाद हुआ और गणतंत्र भारत के लिए अपना संविधान बना, लेकिन इसमें गांव की परिकल्पना शामिल नहीं हो सकी. सब ने...
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केजरीवाल के मुफ्त पानी के तोहफे की हकीकत
वादा पूरा, लेकिन फायदा अधूरा आम आदमी पार्टी सरकार ने सोमवार को अपना पहला चुनावी वादा पूरा करते हुए हर महीने 20 हजार लीटर पानी मुफ्त देने का ऐलान किया। यह फैसला नए साल के पहले दिन से लागू होगा और अगर कोई पानी इस्तेमाल करने में यह सीमा लांघता है, तो दर में सीधा दस फीसदी का इजाफा होगा। लेकिन इसमें एक खेल भी है। और मुफ्त पानी की सौगात में...
More »दिल्ली के 'नायक' ने पूरा किया दूसरा वादा
दिल्ली के नए मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने गद्दी संभालते ही अपना सारा ध्यान चुनावी वादे पूरा करने पर लगा दिया है। मंगलवार को उन्होंने दूसरा वादा पूरा किया। दिल्ली सरकार ने शहर में बिजली वितरण करने वाली तीनों निजी कंपनियों के ऑडिट के आदेश दे दिए हैं। कंपनियों को कल सवेरे तक का वक्त दिया गया है और वे अपना पक्ष रख सकती हैं कि उनका ऑडिट क्यों...
More »दीर्घकालीन राजनीति के तकाजे- पवन कुमार गुप्त
जनसत्ता 23 दिसंबर, 2013 : बहुत समय बाद राजनीति शब्द अपने सही अर्थ के नजदीक आया है। बहुत दिनों बाद आम आदमी में राजनीति से एक उम्मीद जगी है। बहुत-से लोग जो निराशहो गए थे, नए ढंग से सोचने लगे हैं। बात शायद 1944 की है। डॉ सुशीला नैयर ने गांधीजी से पूछा था कि आपने ऐसा क्या किया कि हिंदुस्तान की गिरी-पड़ी जनता उठ खड़ी हुई? गांधीजी का जवाब...
More »मताधिकार के मायने- संदीप जोशी
जनसत्ता 3 दिसंबर, 2013 : पिछले दिनों अचानक पूर्वी दिल्ली के रिहायशी इलाके निर्माण विहार के शांत और लगभग सूने बगीचे में चकाचौंध रोशनी देखी। चमाचम रोशनी ऐसी कि देखने वाले को सैर करने का न्योता हो। इसी बहाने अंधेरे में भी सैर हुई। संभ्रांतता दर्शाते हुए मॉल जैसी जगमगाहट पूरे बगीचे में फैली हुई थी। वहीं ध्यान आया कि दो हफ्ते में दिल्ली के विधानसभा चुनाव होने हैं। बगीचे की...
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