-न्यूजलॉन्ड्री, "कोरोना के बाद जब एक बार फिर से काम मिलना शुरू हो जाएगा और पैसे मिलेंगे तो मैं सबसे पहले अपने लिए चप्पल खरीदूंगी और क्रीमरोल खाऊंगी" यह बात सुनने में शायद बहुतों को अजीब लगे कि चप्पल और क्रीमरोल जैसी मामूली चीज़ों को कोई कोरोना महामारी के चलते खरीद नहीं पा रहा है लेकिन महाराष्ट्र के बीड जिले के काठोड़ा गांव की दलित बस्ती में रहने वाली 15 साल...
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कोविड-19 वैक्सीन की दो अरब डोज़ बनी लेकिन कहाँ गईं?
-बीबीसी, कोरोना वायरस महामारी पूरी दुनिया को तबाह करने वाली साबित हुई है. लेकिन इतने कम समय में हम कोरोना वैक्सीन की दो अरब डोज़ बना रहे हैं और यह संक्रमण को रोकने की लड़ाई में मील का पत्थर है. अच्छी ख़बर है कि इस साल के अंत तक एक अुनमान के मुताबिक़ दुनिया भर के 5.8 अरब वयस्कों के टीकाकरण के लिए वैक्सीन की डोज़ उपलब्ध हो जाएगी. बुरी ख़बर है कि...
More »कोरकू आदिवासी बहुल मेलघाट की पहाड़ियों पर कोरोना से ज्यादा कोरोना के टीके से दहशत!
-न्यूजक्लिक, अमरावती (महाराष्ट्र): "यहां यदि आप कोरोना के बारे में बातचीत करेंगे तो पता चलेगा कि लोग सरकारी अस्पताल जाने को तैयार नहीं हैं। कारण यह है कि लोगों को लगता है कि उन्होंने कोरोना का इलाज यदि सरकारी अस्पताल में कराया तो डॉक्टर उन्हें जिला अस्पताल अमरावती भेज देंगे, जहां उनका कोई इलाज नहीं होगा और वहां उन्हें बीमार रखे-रखे मार दिया जाएगा। फिर मौत के बाद उनकी लाश तक घर...
More »तिरछी नज़र: आत्मनिर्भर भारत के सबक़
-न्यूजक्लिक, देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ‘सरकार जी’, जब से वे सरकार जी बने हैं, तब से ही बहुत कोशिश कर रहे हैं। सरकार जी देश को अपने ऊपर निर्भर बनाने की यथा संभव कोशिश कर रहे हैं। जब कभी भी कोई बात उठती है तो प्रश्न यही उठाया जाता है कि वे नहीं तो और कौन। अर्थात देश उन्हीं पर निर्भर है। सरकार जी और उनके सारे समर्थकों की...
More »कोरोना लॉकडाउन: प्रवासी मज़दूरों के लिए ना घर में काम, ना बाहर, जाएं तो जाएं कहाँ?
-बीबीसी, जोगिंदर हमाली अहमदाबाद शहर में वर्षों तक खुले में अपने ठेलेगाड़ी पर सोते रहे. उन्हें ज़िंदगी की नाइंसाफ़ी पर हैरानी होती थी. पिछले साल लॉकडाउन से पहले तक वह अहमदाबाद में दिहाड़ी कर रहे थे. लेकिन काम छूट गया तो वो गाँव लौट गए. कुछ महीनों पहले काम की तलाश में हमाली फिर अहमदाबाद लौटे, लेकिन इस साल अप्रैल में जब लॉकडाउन लगा तो एक बार फिर उन्हें मजबूर होकर गाँव...
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