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चुनावी चावल से लगी 5 सौ करोड़ की चपत, हर महीने मिलते रहा 35 किलो चावल

रायपुर. राज्य सरकार ने चुनाव के ठीक पहले बनाए गए जिन छह लाख राशनकार्डों को निरस्त किया है उनसे सरकार को 500 करोड़ रुपए की चपत लग चुकी है। विधानसभा चुनाव के पहले छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिकार कानून के तहत अभियान चलाकर ये राशन कार्ड बनाए गए थे। इन्हें सालभर तक 35 किलो चावल हर महीने दिया गया। अब सरकार ने एक सदस्य वाले इन कार्डों को अपात्र घोषित कर दिया...

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गरीबों को छह माह से नहीं मिल रहा राशन

पटना सिटी: खाद्य सुरक्षा कानून प्रभावी होने के बाद भी छह माह से राशन आपूर्ति नहीं होने के खिलाफ सोमवार को अनुमंडल कार्यालय परिसर के बाहर भाजपा पटना साहिब द्वारा धरना दिया गया. जिसकी अध्यक्षता पूर्व जिलाध्यक्ष किरण शंकर व संचालन मुरारी राय ने की. धरना पर बैठे नेताओं ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में छूटे हुए परिवारों को सम्मिलित करने, एपीएल, बीपीएल कूपनधारी को राशन कार्ड उपलब्ध कराने की मांग की....

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महंगाई रोकने की मुहिम में केंद्र सरकार को लग सकता है झटका

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। महंगाई रोकने की मोदी सरकार की प्रस्तावित मुहिम को सूखे की आशंका से झटका लग सकता है। नए कृषि व खाद्य मंत्रियों के लिए सूखा पहली चुनौती होगा। समुद्र में बन रही आफत अलनीनो से भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून के प्रभावित होने का खतरा है। बारिश के बादल भले ही न आएं, मगर खरीफ फसलों पर संकट के बादल जरूर छा गए हैं। इससे महंगाई से...

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गेहूं खरीद ज्यादा लेकिन लक्ष्य अधूरा

खरीद का लक्ष्य नहीं हुआ पूरा रबी फसलों पर बेमौसम बारिश की मार के बावजूद इस साल गेहूं की सरकारी खरीद पिछले साल से ज्यादा रही है। इसमें सबसे ज्यादा योगदान पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा ने किया है। इसके बावजूद इस साल 310 लाख टन की गेहूं खरीद का लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा है। पिछले साल के मुकाबले खरीद बढ़ने से केंद्र में आई नई सरकार को महंगाई से...

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मनमोहन सिंह सफल रहे पर भ्रष्टाचार नहीं मिटा पाये- अमर्त्य सेन

भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था पर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन की राय सबसे जुदा होती है। इन दोनों में वह मानव विकास के मायने ढूंढ़ते हैं। नई सरकार की चुनौतियों व संभावनाओं और मौजूदा सरकार की उपलब्धियों तथा खामियों पर उनसे ललिता पणिकर और गौरव चौधरी ने विस्तृत बातचीत की। बातचीत के अंश- आर्थिक मंदी के बीच नई सरकार की क्या प्राथमिकताएं होनी चाहिए? कुछ लंबे समय के मुद्दे होते हैं...

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