-रुरल वॉइस, अगर आपका किसी के उपर बकाया हो और तय अवधि के छह माह और साल भर तक उसका भुगतान न हो तो आपको यह उम्मीद तो होगी ही कि वह ब्याज समेत मिलेगा और यह उम्मीद तब और पुख्ता हो जाती है जब ब्याज मिलना कानूनी हो। लेकिन यह उम्मीद हमेशा पूरी हो इसकी कोई गारंटी नहीं है। उत्तर प्रदेश के करीब 40 लाख गन्ना किसान इस उम्मीद के...
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दिन महंगे ही अच्छे!
-न्यूजक्लिक, लगता है कि विरोधी तो विरोधी, भक्त भी भागवत जी की बात को पूरी तरह समझ नहीं पाए। बेशक, भागवत जी ने जब पॉजिटिविटी अनलिमिटेड का सूत्र दिया था, तब कोविड महामारी ने कुछ ज्यादा ही तबाही मचा रखी थी। कोई आक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहा था, तो दवा की कमी से और कोई वेंटीलेटर की कमी से। कोई अस्पतालों के गलियारों में, तो कोई फुटपाथों पर। हद तो...
More »बीजेपी के नेताओं का केंद्रीय विषय मुसलमान विरोधी नफ़रत क्यों है?
-सत्यहिंदी, ध्रुवीकरण को भी रोजाना का अभ्यास बनाना पड़ता है। उसे रोज़मर्रा की भाषा में इस कदर शामिल कर दिया जाता है कि वह समाज का स्वभाव बन जाए। इसलिए मसला मात्र चुनाव में अपने लिए येन केन प्रकारेण वोटर बनाने का नहीं है। हमारे बहुत सारे मित्र इस तरह के बयानों को बहुत तवज्जो नहीं देने की सलाह देते हैं। इस स्तंभ की ज्यादातर कड़ियों का विषय मुसलमान विरोधी हिंसा रहा...
More »जातिवाद की जहरीली फसल
-कारवां, जुलाई 1967 में बुधवार की एक शाम का वाकया है, जब दो गोरे पुलिस अधिकारी एक काले व्यक्ति जॉन विलियम स्मिथ को नेवार्क शहर के सीमांत पर स्थित अपनी इमारत के परिसर में घसीट कर ले जा रहे थे. स्मिथ एक टैक्सी ड्राइवर थे और उन्हें अभी-अभी गिरफ्तार किया गया था और उन्हें इतनी बेरहमी से पीटा गया था कि वह चल नहीं पा रहे थे. उनके ऊपर उन अधिकारियों की...
More »देश के नाम संबोधन में कई तथ्य छिपा गए प्रधानमंत्री, राज्यों को दोष देने में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की बात दबा गए
-नवजीवन, देश में कोरोना की आमद के बाद बीते 15 महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (सोमवार, 7 जून को) एक बार फिर देश को संबोधित किया। इस बार उनका पूरा भाषण कोरोना महामारी और इससे लड़ने के लिए वैक्सीन पर केंद्रित था। उन्होंने ऐलान किया कि आने वाले दिनों में वैक्सीनेशन का सारा काम केंद्र सरकार अपने हाथ में लेगी और सभी राज्यों को वैक्सीन मुफ्त में मुहैया कराई...
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