वाशिंगटन। एक अध्ययन के मुताबिक इस साल लगभग 1.61 अरब लोगों के सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल करने का अनुमान है। शोध संस्थान ई मार्केटर के मुताबिक दुनिया के हर पांचवे व्यक्ति ने इस साल महीने में कम से कम एक बार इसका इस्तेमाल किया। अध्ययन के मुताबिक इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और वर्ष 2017 तक ये संख्या 2.33 अरब तक पहुंचने की...
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28 लाख घरों की मांग के साथ आठ प्रमुख शहरों की रहेगी २३ फीसदी हिस्सेदारी
बढ़ेगा मांग-आपूर्ति का अंतर - वर्तमान नियामकीय, आर्थिक और राजनीतिक हालातों के चलते अगले पांच सालों के दौरान मांग की तुलना में घरों की आपूर्ति में व्यापक अंतर देखने को मिल सकता है। आठ प्रमुख शहरों में यह अंतर ४५ फीसदी तक होने का अनुमान है। जहां एक ओर आने वाले पांच सालों के दौरान देश में आशियाने की जोरदार मांग देखने को मिलेगी वहीं दूसरी ओर संकेत है कि तमाम नियामकीय और आर्थिक...
More »जलयुद्ध की ओर बढ़ती दुनिया
विभिन्न अध्ययन एवं आकलन बताते हैं कि वर्ष 2050 तक विश्व की आबादी वर्तमान सात अरब से बढ़ कर नौ अरब तक पहुंच जायेगी. इस स्थिति में पानी और भोजन की मांग बढ़ेगी, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या और भी गंभीर हो सकती है. दुनियाभर में पानी से जुड़े मसलों पर काम कर रहे संगठनों ने इसे लेकर चिंता जतायी है. इसी कड़ी में स्टॉकहोम में पिछले 22 वर्षो से...
More »गरीबी रेखा या भुखमरी की रेखा- अनिन्दो बनर्जी
देश में गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करनेवालों के बारे में योजना आयोग द्वारा जारी आंकड़ों की कोई और उपयोगिता हो न हो, यह बदहाली के स्वीकार्य मापदंड नहीं हो सकते. जिस देश में करीब 46 फीसदी बच्चे कुपोषण से प्रभावित हों, जहां करीब 40 प्रतिशत परिवार पूर्णत: भूमिहीन या एक एकड़ से कम जमीन के मालिक हों, जहां 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का गुजारा असंगठित क्षेत्र में...
More »वैश्वीकरण बनाम आदिवासी- हरिराम मीणा
जनसत्ता 29 जुलाई, 2013: भूमंडलीकरण का यह वह दौर चल रहा है जब सारे प्राकृतिक संसाधनों का फटाफट और अंधाधुंध दोहन कर लिया जाए, हो सकता है फिर ऐसा सुनहरा अवसर इन कंपनियों को मिले या न मिले। नई आर्थिक नीति की चरम परिणति जन-विरोधी वैश्वीकरण के रूप में अब सामने आ रही है। बहुराष्ट्रीय निगमों, उनको मॉडल मानने वाले देशी पूंजीपतियों और प्राकृतिक संसाधनों की बंदरबांट में लगे राजनीतिकों,...
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