सहज मार्ग से नाम से प्रचलित आध्यात्मिक संस्था श्रीरामचंद्र मिशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष रामचंद्र ने 1966 में प्रकाशित अपनी पुस्तक रियल्टी एट डॉन में भारत के उत्थान और पश्चिम के पराभव का एक खाका खींचा है। उन्होंने लिखा है कि इस पराभव का एक कारण पश्चिम में धरती के गर्भ में सक्रिय होने वाले ऐसे ज्वालामुखी भी बनेंगे जो अभी सुप्त अवस्था में हैं। पता नहीं, वह सब कुछ...
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अब सरकारी बैंकों के निजीकरण का वक्त - डॉ भरत झुनझुनवाला
विजय माल्या पर 7,000 करोड़ की देनदारी है तो दूसरे बड़े उद्यमियों पर इससे लगभग नौ गुना यानी 60,000 करोड़ रुपए की देनदारी है। माल्या का कहना है कि इस रकम के खटाई में पड़ने में सरकारी बैंकों की भी भागीदारी है, क्योंकि उन्होंने यह जानते हुए लोन दिए थे कि कंपनी संकट में है। सच यह है कि सरकारी बैंकों के अधिकारियों के लिए घटिया लोन देना लाभ का...
More »खुली आंखों से घाटे का सौदा - मोहन गुरुस्वामी
अव्वल तो यही कि हम अपनी धारणाओं को दुरुस्त कर लें। मसलन, विजय माल्या का ही मामला लें तो पाएंगे कि आम धारणा यह है कि माल्या ने शानो-शौकत की जिंदगी बिताने के लिए बैंकों को भरमाकर 9000 करोड़ रुपयों तक का कर्ज ले लिया और जब कर्ज का बोझ बढ़ गया और चुकतारे का कोई रास्ता नजर आना बंद हो गया तो वह भारत छोड़कर फुर्र हो गया। लेकिन...
More »कैसी आजादी चाहिए कन्हैया को? - सीता
अरसे बाद लेफ्ट को एक नया आइकॉन मिला है। वह जेएनयू छात्र संघ का अध्यक्ष है और उसका नाम है कन्हैया कुमार। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी पहले ही उत्साह में आकर घोषणा कर चुके हैं कि कन्हैया पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावों में उनका स्टार प्रचारक होगा। कन्हैया का नाम सुर्खियों में आया था आजादी को लेकर लगाए गए चंद नारों से। अब उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि...
More »दिशा तो सही लेकिन कुछ जरूरी बातों की अनदेखी - डॉ. भरत झुनझुनवाला
बजट में कई अच्छी घोषणाएं की गई हैं जैसे ग्रामीण विद्युतीकरण एवं सड़कों में निवेश में वृद्धि, गरीबों को गैस सिलेंडर उपलब्ध कराना, जिले स्तर पर डायलिसिस की व्यवस्था करना, नए कर्मियों के लिए कंपनियों को प्रॉविडेंट फंड में अनुदान देना, हाईवे, रेल, पोर्ट एवं एयरपोर्ट में निवेश बढ़ाना इत्यादि। वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स में छूट दी है, जबकि एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि की है। यह कदम सही दिशा...
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