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तो क्या शिक्षा पर ख़र्च ही सबसे बड़ी फ़िज़ूलख़र्ची?-- समीरात्मज मिश्र

उत्तर प्रदेश सरकार ने मौजूदा बजट में किसानों की कर्ज़माफ़ी के लिए 36 हज़ार करोड़ रुपये का प्रावधान किया और बताया कि इस धनराशि का इंतज़ाम सरकारी ख़र्चों में कटौती और अपव्यय को कम करके किया जाएगा. वहीं शिक्षा के मद में पिछले बजट की तुलना में नब्बे फ़ीसद तक कटौती करके ये सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या शिक्षा पर ख़र्च करना ही सबसे बड़ी फ़िज़ूलख़र्ची है? योगी सरकार...

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भारत में बाल-मजदूरों की तादाद 3 करोड़ से ज्यादा - सेव द चिल्ड्रेन की नई रिपोर्ट

क्या आप जानते हैं कि यंगिस्तान यानी नौजवानों का देश कहलावाने वाले भारत में बच्चों की दशा कैसी है ? नीचे लिखे तथ्यों को ध्यान से पढ़िए और खुद ही फैसला कीजिए.   बच्चों में कुपोषण का एक पैमाना है स्टटिंग और भारत में स्टटिंग के शिकार बच्चों की संख्या 4 करोड़ 80 लाख से अधिक है. यह दक्षिण अमेरिका के देश कोलंबिया की कुल आबादी(4 करोड़ 90 लाख) के बराबर है.   लगभग इतनी ही...

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डिजिटल इंडिया: एक नजर--- रीतिका खेड़ा

जब सरकारी स्कूलों में, सरकार की ओर से इंटरनेट सुविधा उपलब्ध करवायी जायेगी, तो इसे किस उपयोग में लाया जायेगा? सरकारी स्कूलों में इंटरनेट आने से आप और हम शायद यह जवाब देंगे कि इंटरनेट सुविधा बच्चों की पढ़ाई में इस्तेमाल होगी. आजकल के संपन्न शहरी परिवारों के बच्चे, घर पर उपलब्ध स्मार्टफोन और टैब्लेट्स पर इंटरनेट से बहुत कुछ सीखते हैं. जब कंप्यूटर आये थे, तब इनका भी बच्चों...

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क्या ‘मिड डे मील’ शिक्षा में घुन है?-- मणीन्द्र ठाकुर

ग्रामीण विद्यालयों में शिक्षा की हालत कैसी है? यदि आप इस सवाल को लेकर नीतिकारों के पास जायेंगे, तो लगेगा कि अब भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता है. क्योंकि बिहार के गांवों में भी लगभग सौ फीसदी बच्चे विद्यालय जाने लगे हैं. लेकिन, धरातल पर कहानी कुछ और है. पिछले दिनों किसी गांव के एक विद्यालय में जाने का मौका मिला, जहां साठ-सत्तर के दशक तक...

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स्कूली शिक्षा में भेदभाव की विषबेल-- प्रियंका कानूनगो

भारत की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में कई प्रकार से शैक्षिक भेदभाव व्याप्त है, खासतौर पर स्कूली शिक्षा में इसकी जड़ें बहुत गहरे जम चुकी हैं। इस विषबेल को खाद, पानी, पोषण देने वाला ताकतवर समूह शिक्षा का बाजारीकरण कर उस बाजार का नियंत्रक बना बैठा है, जो कि संगठित माफिया की तरह कार्यरत है। वह न केवल नियमों को तोड़ता है बल्कि मनमाफिक नियम निर्धारण में भी पर्याप्त सक्षम है।...

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