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गंगा योजना के विरोधाभास- अनिल प्रकाश

जनसत्ता 19 जुलाई, 2014 : केंद्र की नई सरकार के तीन-तीन मंत्रालय गंगा नदी से जुड़ी समस्याओं पर सक्रिय हुए हैं। एक बार पहले भी, राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व-काल में, गंगा सफाई योजना पर बड़े शोर-शराबे के साथ काम शुरू हुआ था। गंगा ऐक्शन प्लान बना। मनमोहन सिंह सरकार ने तो गंगा को राष्ट्रीय नदी ही घोषित कर दिया। मानो पहले यह राष्ट्रीय नदी न रही हो। अब तक लगभग बीस...

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गांव-देहात व किसान से वास्ता नहीं- केसी त्यागी

आम बजट और रेल बजट को देख कर यह सहज रूप से कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार बजट के पीछे राजनीति कर रही है. राजनीति इस अर्थ में कि जो भाजपा कहती है, वह करती नहीं है. जो वादा करती है, उसके पीछे उसकी मंशा क्या है, तथा आम आदमी के प्रति वह कितनी हमदर्द है, वह आम बजट और रेल बजट से साबित हो गया है. सरकार...

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ज्यां द्रेज़: सामाजिक नीति का कथा पुराण

आज शायद ही किसी को वह चिट्ठी याद होगी जिसे सात अगस्त 2013 को नरेन्द्र मोदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखा था. इस चिट्ठी में मोदी ने दुख जताया था कि "खाद्य सुरक्षा का अध्यादेश एक आदमी को दो जून की रोटी भी नहीं देता." खाद्य-सुरक्षा के मामले पर लोकसभा में 27 अगस्त 2013 को बहस हुई तो उसमें भी ऐसे ही मनोभावों का इज़हार हुआ. तब भारतीय जनता पार्टी के...

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हम गंदा न करें तो साफ ही है गंगा - अनिल प्रकाश

केंद्र की नई सरकार ने गंगा नदी से जुडी समस्याओं पर काम करने का फैसला किया है। तीन-तीन मंत्रालय इस पर सक्रिय हुए हैं। एक बार पहले भी राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में गंगा की सफाई की योजना पर बड़े शोर-शराबे के साथ काम शुरू हुआ था। गंगा एक्शन प्लान बनाया गया था। मनमोहन सिंह सरकार ने भी गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया। लेकिन अब तक लगभग...

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स्मार्ट सिटी एक सौ, और गांव?- कृष्ण प्रताप सिंंह

नयी सरकार को समझना चाहिए कि गांवों ने पिछली सरकार को अपनी क्रूर नासमझी में समझने से मना कर दिया था कि जस के तस पड़े बदहाली पर रोते गांव यदि स्मार्ट नहीं होंगे, तो वे शहरों को भी स्मार्ट नहीं ही होने देंगे. गांवों के इस देश के नये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिलहाल देश में सौ स्मार्ट सिटी चाहिए! इस बात को वे आजकल विभिन्न अवसरों पर बार-बार दोहरा...

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