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मातृ मृत्यु को कम करने का लक्ष्य अभी दूर है

 भारत में मातृ मृत्यु को कम करने का लक्ष्य अब भी बहुत दूर है। उच्च मातृ मृत्यु अनुपात महिलाओं की खराब प्रसव स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा समाज में उनकी भयावह स्थिति को भी दर्शाता है। सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के ताजा जारी आंकडे बताते हैं कि मातृ मृत्यु अनुपात में तेजी से गिरावट आई है। मातृ मृत्यु अनुपात जहां साल 1997-98 में 398.0 था, वहीं वर्ष 2015-17 में ये आंकड़ा 122.0...

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आधार से लिंक होगी प्राॅपर्टी; जमीन, मकान की खरीद-फरोख्त में फर्जीवाड़ा रोकने में आसानी होगी

नई दिल्ली (शरद पाण्डेय). अचल संपत्ति के स्वामित्व के लिए अब उसे आधार से लिंक कराना होगा। केंद्र सरकार पहली बार संपत्ति स्वामित्व के लिए कानून ला रही है। ड्राफ्ट तैयार है। 5 सदस्यों की एक्सपर्ट कमेटी भी बन चुकी है, जो राज्यों से समन्वय करेगी। जमीन से जुड़े मामले राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हैं, इसलिए केंद्र मॉडल कानून बनाकर राज्यों को देगा। 19 राज्यों में एनडीए की सरकारें...

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आदिवासी बच्चों के लिए खुले एकलव्य स्कूलों की स्थिति बदहाल, कई राज्यों में शुरू भी नहीं हुए

नई दिल्ली: सबका साथ, सबका विकास... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का ये मूलमंत्र रहा है. लेकिन, क्या सचमुच ऐसा हुआ? मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान विभिन्न योजनाओं का विश्लेषण किया जाए तो यही पता चलता है कि नारों के शोर में विकास कहीं गुम हो गया है. मसलन, इस एक खबर पर पहले नजर डालिए. इकोनॉमिक टाइम्स में 18 अप्रैल 2016 को प्रकाशित एक लेख में...

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जल क्रांति योजना: पांच सालों में नहीं हुआ कोई काम, पानी की किल्लत से जूझ रहे कई गांव

पांच जून 2015 को तत्कालीन जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की. योजना का नाम है, ‘जल क्रांति योजना.' इसे जल संरक्षण और जल प्रबंधन के लिए शुरू किया गया था. खासकर, उन इलाकों के लिए जहां पानी की भारी किल्लत है. इसके तहत जल ग्राम योजना, मॉडल कमांड एरिया का गठन, प्रदूषण हटाना, जागरूकता अभियान जैसे लक्ष्य शामिल किए गए थे. नेशनल लेवल एडवाइजरी एंड मॉनिटरिंग...

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तमिलनाडु में महात्मा की चमक-- रामचंद्र गुहा

महात्मा गांधी आधुनिक युग के ऐसे इंसान हैं, जो किसी भी अन्य भारतीय की अपेक्षा अपने होने को सार्थक करते हैं। एक ऐसे हिंदू, जिन्होंने मुसलमानों के समान अधिकारों के लिए अपना करियर तो समर्पित किया ही, जीवन भी बलिदान कर दिया। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई कर रहे अंग्रेज जज ने पेशा पूछा, तो उनका जवाब था- ‘किसान और बुनकर'। जीवन यापन के दो ऐसे तरीके, जो...

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