इस बार एक फरवरी को जब केंद्रीय वित्त मंत्री आम बजट पेश करेंगे तो यह दो कारणों से एक ऐतिहासिक क्षण होगा। एक तो मोदी सरकार ने दशकों पुरानी परंपरा को समाप्त कर आम बजट को फरवरी के अंतिम सप्ताह के बजाय पहले सप्ताह में पेश करने का निर्णय लिया है और दूसरे, रेल बजट को आम बजट में ही समाहित करने का फैसला किया है। रेल बजट को आम...
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घाटा, कर्ज का भीषण कांटा!-- अनिल रघुराज
कालेधन को साफ करने की जिस वैतरणी के लिए सरकार ने देश के 26 करोड़ परिवारों को तकलीफ की भंवर में धकेल दिया, वह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हमारी अर्थव्यवस्था के लिए कर्मनाशा बनती दिख रही है. आइएमएफ जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संगठन तक ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास का अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटा कर 6.6 प्रतिशत कर दिया है, जबकि चीन का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ा...
More »किसान नेताओं ने कहा- नोटबंदी से हर एकड़ पर 50 हजार रुपये तक का नुकसान
नोटबंदी के चलते कृषि क्षेत्र पर तगड़ी मार पड़ी है और वह अब तक इससे उबर नहीं पाया है। कृषि संगठनों से जुड़े नेताओं का कहना है कि फल और सब्जी उपजाने वाले किसानों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। मांग की जा रही है कि बजट में किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए योजना का ऐलान किया जाए। भारत कृषक समाज के चेयरमैन अजय वीर जाखड़ ने बताया,...
More »आचार संहिता की प्रासंगिकता -- अनुपम त्रिवेदी
4 जनवरी को 5 राज्यों में चुनाव की अधिसूचना के साथ ही चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी है. नियमानुसार राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और सरकारी महकमें से इस दौरान आदर्श आचार यानी ‘मॉडल कंडक्ट' की अपेक्षा की जाती है और नहीं मानने पर सजा का प्रावधान है. भारत में आचार संहिता के प्रयोग का आरंभ केरल में हुआ, जब वहां 1960 के विधानसभा चुनावों में चुनाव परिचालन के लिए राजनीतिक...
More »सहकारी संघवाद चलाना मुश्किल -- संदीप मानुधने
आज के राजनीतिक विवादों (विशेषकर नोटबंदी के बाद के संघर्ष) को देखें, तो सवाल उठता है कि भारत संघात्मक है या एकात्मक? इसका विश्लेषण इतिहास, संविधान और आर्थिक वास्तविकताओं को समझने से हो सकेगा. सहयोगी संघवाद (कोआॅपरेटिव फेडेरलिज्म) वह दृष्टिकोण है, जिसमें राष्ट्रीय और राज्य सरकारें साझा समस्याओं को सुलझाने के लिए परस्पर सहयोग करती हैं. इसके सफल परिचालन के लिए शक्तियों का एक संघीय संतुलन निर्मित करना...
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