पेटलावद से जितेंद्र यादव। पेटलावद हादसे में 89 निर्दोष लोगों की जान लेने वाले बारूद के पीछे भ्रष्टाचार की एक ऐसी कहानी भी छिपी है जिसके किरदार जिला और जनपद पंचायत के अफसरों से लेकर ग्राम पंचायत के सचिव और सरपंच तक हैं। इस कहानी में ब्लास्टिंग का धंधा करने वाले कांसवा सहित अन्य कारोबारियों का भी सीधा हाथ सामने आ रहा है। झाबुआ जिले में मनरेगा के तहत सरकार की...
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तकनीकी शिक्षा की विसंगतियां- नीलांजन मुखोपाध्याय
विगत पांच अगस्त को लोकसभा में जवाब देते हुए मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि 2012 से 2015 के दौरान, कुल तीन वर्षों में सोलह आईआईटी के 2,060 छात्रों ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। इसी दौरान कुल तीस एनआईटी से 2,352 छात्र अधबीच में निकल गए। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, दूसरे कॉलेजों में दाखिला मिलने, व्यक्तिगत वजहों से, चिकित्सा कारणों से, पढ़ाई के दौरान नौकरी मिल...
More »किसान आत्महत्या: कैसे तैयार होते हैं आंकड़े?- पी साईनाथ
किसानों की आत्महत्या से जुड़े सालाना आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) जारी करता है. लेकिन ये आंकड़ों जिस तरह से जुटाए जाते हैं, वह समस्या को कहीं ज़्यादा गंभीर बना रहे हैं. दरअसल, एनसीआरबी आकंड़ा संग्रह करने की मशीनरी नहीं हैं, बल्कि यह राज्य सरकारों से मिले आंकड़ों को एकत्रित करके उसे टेबुलर फॉर्म में जारी करती है. इस लिहाज से देखें तो एनसीआरबी का इन आंकड़ों में अपना कोई...
More »नया कारोबार है 'कंपनियों की टैक्स माफ़ी'-- पी साईनाथ
केंद्र सरकार 2006-07 से हर साल बजट में इस बात का ज़िक्र करती है कि उसने कंपनियों को टैक्स में कितनी छूट दी और आयकर दाताओं को कितनी छूट मिली. मशहूर लेखक और वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ का कहना है कि सरकार ने पिछले नौ सालों में कंपनियों को 365 खरब रुपए की टैक्स छूट दी है. इसका एक बड़ा हिस्सा तो हीरे और सोने जैसी चीज़ों पर टैक्स छूट में दिया...
More »गांव और गरीब की चिंता कब?- अश्विनी महाजन
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 में हुई जनगणना के आर्थिक, सामाजिक गणना के आंकड़े हाल ही में प्रकाशित किये गये हैं. ये आंकड़े भारत में गरीबों की वर्तमान दुर्दशा की कहानी बयान कर रहे हैं. चिंता का विषय केवल यह नहीं है कि गरीबों की हालत खराब है, बल्कि वह पहले से तेज गति से बदतर होती जा रही है. गौरतलब है कि अभी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ही ये...
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