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बैंकिंग व्यवस्था में सुधार जरूरी-- अश्विनी महाजन

पिछले दिनों खबर आयी कि बीते पांच साल के दौरान भारत में 23 हजार बैंक धोखाधड़ियां हुईं, जिसके चलते एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि फंस गयी है. निश्चित रूप से इसका असर हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और बैंकिंग व्यवस्था पर तो यह असर दिख भी रहा है. आज बैंक ही वित्तीय मध्यस्थता का स्रोत हैं. ऐसे लोग जिनके पास अतिरिक्त पैसा होता है, चाहे वे गृहस्थ हों,...

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कृषि अर्थशास्त्र मानसून से आगे-- देविन्दर शर्मा

सबसे पहले अच्छी खबरें। लगातार तीसरे साल मानसून के सामान्य रहने की संभावना है। ‘भारतीय मौसम विज्ञान विभाग' ने यह भविष्यवाणी की है कि आने वाले दिनों में चौतरफा अच्छी बारिश होगी और पूरे मानसून सीजन में 97 फीसदी बारिश होगी।   लेकिन बात यहीं पूरी नहीं हो जाती। हमें मौसम विज्ञानियों पर भरोसा है, मगर कई स्वाभाविक कारणों से सामान्य से कम वर्षा की 44 प्रतिशत आशंकाएं भी हैं। पिछले...

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आर्थिक प्राणवायु बनी नकदी-- मोहन गुरुस्वामी

देश के विभिन्न हिस्सों में एटीएम नकदी से रिक्त पड़े हैं और आम आदमी बेहाल है. तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में हालात ज्यादा कठिन हैं, जिनकी सीमाएं बड़े दांववाले आसन्न चुनावों के राज्य कर्नाटक से लगी हैं. इस किल्लत की सहज व्याख्या तो यही नजर आती है कि उपलब्ध नकदी कर्नाटक की जनता को सुशासन देने की स्पर्धा में लगे बड़े पक्षों के सुरसाकार मुखों का ग्रास बन गयी...

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नकदी : कुछ किल्लत, कुछ हल्ला-- राजीव रंजन झा

पिछले कुछ दिनों से फेसबुक और ट्विटर जैसे लोक-माध्यमों पर यह हल्ला मचा हुआ है कि बैंकों के एटीएम खाली हैं और बैंक शाखाओं में जाने पर भी नकदी नहीं मिल पा रही है. ऐसे मुद्दे पर राजनीति तो गरमानी ही थी. राहुल गांधी ने आरोप मढ़ डाला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के बैंकिंग तंत्र को तबाह कर डाला है. कांग्रेस ने ट्वीट करके सवाल उठाया कि देश भर...

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नगदी के संकट का नोटबंदी से रिश्ता-- रौशन किशोर

पिछले कुछ दिनों से ऐसी बहुुत सारी खबरें आई हैं, जिनमें बताया गया है कि एटीएम काम नहीं कर रहे, जिससे यह डर एक बार फिर खड़ा हो गया है कि अर्थव्यवस्था में नगदी की किल्लत है। मंगलवार को वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी करके ऐसी आशंकाओं का खंडन किया। इस बयान में कहा गया है कि पिछले तीन महीनों में नगदी की मांग असामान्य रूप से बढ़ी है।...

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