दुनिया में एक तरफ जहां गरीबी कम होती जा रही है और मध्यम वर्ग व निम्न मध्यम वर्ग की संख्या में इजाफा हो रहा है। वहीं भारत में यह वर्ग सिकुड़ता जा रहा है। प्यू रिसर्च सेंटर की एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। प्यू की नई शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया के कई देशों में गरीबी के स्तर में गिरावट देखी गई है...
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मनरेगा में पैसा खर्च करना सचमुच फिजूल की बात है?- ज्यां द्रेज
कॉरपोरेट प्रायोजित मीडिया की ओर से बनाई गई धारणा के उलट महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से अहम नतीजे मिले हैं। अगर मीडिया की कुछ रिपोर्टों पर ग़ौर करें तो लगेगा कि मनरेगा के तहत शुरू हुए सार्वजनिक काम पूरी तरह बेकार हैं। हाल में एक संपादकीय में कहा गया, "देश के ज्यादातर हिस्सों में इसका (मनरेगा) मतलब बेमकसद गड्ढे खोदना और उन्हें भरना है।" इस बयान के...
More »दाखिले की मारामारी
हर साल जून का महीना देश के उन लाखों परिवारों के लिए ढेर सारी परेशानियां लेकर आता है, जिनके बच्चों ने कक्षा-12 को पास कर लिया है। माना यही जाता है कि मेहनत और उसके अच्छे नतीजे भविष्य के लिए कई दरवाजे खोल देते हैं। पर स्कूली शिक्षा से कॉलेज शिक्षा की ओर जाने वाले मार्ग पर आजकल अक्सर ऐसा नहीं होता। अच्छे विश्वविद्यालय और कॉलेज में दाखिला कठिन होता...
More »गुजरात मॉडल का राष्ट्रीय हो जाना- रामचंद्र गुहा
पिछले आम चुनाव के प्रचार में नरेंद्र मोदी ने बार-बार ‘गुजरात मॉडल' का जिक्र किया और वादा किया कि भाजपा सत्ता में आई, तो यह मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाएगा। पार्टी चुनाव जीत गई और मोदी ने अपना वादा निभाया। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने प्रशासनिक चुस्ती और व्यापार करने की आसानी बढ़ाने के लिए कई काम किए। जब वह प्रधानमंत्री बन गए, तब भी उन्होंने...
More »सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश
अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...
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