सुधींद्र कुलकर्णी से बहुत पहले निखिल वागले और आपके इस मामूली स्तंभकार जैसे कई लोग शिवसेना के शिकार बन चुके हैं। 1991 में शिवसेना ने भारत-पाक क्रिकेट शृंखला के विरोध में वानखेड़े स्टेडियम का पिच खोद दिया था। मैंने इसकी कठोरतम शब्दों में आलोचना करते हुए लेख लिखा। जहां मैं काम करता था उस टाइम्स ऑफ इंडिया, मुंबई के दफ्तर के बाहर काले झंडे दिखाए गए, अपशब्द कहे गए, लेकिन...
More »SEARCH RESULT
इन्क्लूसिव मीडिया-यूएनडीपी फेलोशिप : आवेदन आमंत्रित हैं
इन्कूलिसिव मीडिया-यूएनडीपी फेलोशिप-2015 के लिए पत्रकारों से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में आवेदन आमंत्रित हैं। फेलोशिप के लिए आवेदन इन्कूलिसिव मीडिया फॉर चेंज की ओर से आमंत्रित किए गए हैं। यह फैलोशिप ग्रामीण-संकट/ विकास तथा वंचित तबके के मुद्दों पर मीडिया कवरेज बढ़ाने और कवरेज को पैना बनाने के लिए दी जा रही है। फेलोशिप का उद्देश्य लोकतांत्रिक सामाजिक बदलाव को बढ़ावा देना है, खासकर सशक्तीकरण, भागीदारी, सुशासन(गुड-गवर्नेंस) तथा मीडिया...
More »गांधी की अहिंसा का मर्म-- जैनेन्द्र कुमार
एक संपादक भाई अहिंसा के कायल थे। पर गांधीजी के यहां उन्होंने देखा कि भजन गाया जा रहा है- सुनेरी मैंने निर्बल के बल राम/ जब लगि गज बल अपनों बरत्यो/ नेक सरयो नहि काम/ निर्बल ह्वै बल राम पुकारयो/ तजि आए निज धाम/... द्रुपद-सुता निर्बल भई जा बिन/ नहि आयो कोई काम / आधे नाम कहत ही भैया/ बसन रूप भए श्याम/... अपबल, तपबल और बाहुबल/ चौथो बल...
More »दर्शकों तक पहुंचने की कठिन डगर - मृणाल पांडे
किसी भी लोकतांत्रिक देश की सरकार और आम आबादी के बीच सहज-सतत संवाद हर कल्याणकारी राज्यव्यवस्था की बुनियादी जरूरत होती है। जब सरकार ने (बीसवीं सदी के अंतिम दशक में) सूचना प्रसार मंत्रालय की मातहती में चलाई जाती रही रेडियो-टीवी की प्रसारण सेवाओं को प्रसार भारती नामक स्वायत्त इकाई को सौंपा था तो शायद उसके पीछे उसके मार्फत राज्य व नागरिकों के बीच एक भरोसेमंद-मजबूत पुल बनाने का ही लक्ष्य...
More »आरक्षण की नीति के खतरे - संजय गुप्त
गुजरात में अनुभवहीन युवा नेता हार्दिक पटेल की ओर से अपने समुदाय को गोलबंद कर जिस तरह आरक्षण की मांग की गई और जिससे राज्य के कई इलाकों में जो हिंसा भड़क उठी, उससे आरक्षण का मसला एक बार फिर राजनीतिक बहस के केद्र में आ गया है। आजादी के बाद अनुसूचित जातियों और जनजातियों को सामाजिक-आर्थिक रूप से मुख्यधारा में लाने के लिए उन्हें दस वर्षों के लिए सरकारी...
More »