सुप्रीम कोर्ट ने 194 कोयला खदानों का आवंटन अवैध ठहराने का ऐतिहासिक फैसला जरूर किया है, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि देश और देशवासियों को इसकी बड़ी कीमत चुकाना पड़ सकती है। इन खदानों से कोयले का खनन नहीं हुआ तो देश अंधेरे में डूब सकता है, स्टील और सीमेंट जैसे ऊर्जा पर आश्रित क्षेत्र चरमरा सकते हैं। कोयला घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हड़कंप है। सियासी...
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कालिख की उजागर होती परतें - राजीव सचान
लगता है, मनमोहन सिंह को सत्ता से बाहर होने के बाद भी चैन नहीं मिलने वाला। पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के बाद अब उनके चैन में खलल डाला है पूर्व कैग विनोद राय ने। वह भी अपनी किताब के साथ हाजिर होने वाले हैं। उनकी किताब 'नॉट जस्ट एन एकाउंटेंट" अभी बाजार में नहीं आई, लेकिन उसके सार्वजनिक हुए कुछ अंश बताते हैं कि किस तरह उन पर इसके...
More »आज वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों की दरकार- अनिल प्रकाश जोशी
सर्वोच्च अदालत ने उत्तराखंड में विवादित पनबिजली योजनाओं को निरस्त कर राज्य सरकार और निजी कंपनियों को साफ और सख्त संकेत दिए हैं। अदालत ने अनियमितताओं को गंभीरता से लिया है और स्पष्ट किया है कि पर्यावरण के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। इस कदम से भागीरथी और अलकनंदा नदी बेसिन वाली 24 परियोजनाओं पर रोक लग गई है। ऊर्जा आज की जरूरत है, इससे कोई इन्कार नहीं कर...
More »किसे है जीएम फसलों की जरूरत? - देविंदर शर्मा
गिल्स-एरिक सेरालिनी फ्रांस के नोर्मांडी में स्थित काएन यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक हैं। दो साल पहले, वर्ष 2012 में उनके एक शोध पत्र ने वैज्ञानिक जगत में खलबली मचा दी थी। सेरालिनी ने कुछ चूहों को दो वर्ष तक जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) अनाज खिलाया था। नतीजे चौंकाने वाले रहे। चूहों के शरीर पर बहुत बड़े आकार वाली गांठें उभर आईं। साथ ही उनमें यकृत और गुर्दे की बीमारियां भी पाई गईं।...
More »गांवों के विकास में उद्योगों की साझेदारी -डॉ. अनिल प्रकाश जोशी
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब यूरोप की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई, उस समय उद्योगों को मूलमंत्र मानकर विकास की रूपरेखा तैयार की गई। इसी समय दो बड़े परिवर्तन भी हुए। पहला, विकास की परिभाषा इस तरह गढ़ दी गई, जिसका सीधा-सीधा मतलब था कि उद्योग और उससे जुड़े तमाम आयामों को ही विकास मान लिया जाए। दूसरा, इसके बाद ही भोगवादी सभ्यता का चलन बढ़ा। अपने देश ने भी स्वतंत्रता के बाद...
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