जनसत्ता 23 दिसंबर, 2013 : बहुत समय बाद राजनीति शब्द अपने सही अर्थ के नजदीक आया है। बहुत दिनों बाद आम आदमी में राजनीति से एक उम्मीद जगी है। बहुत-से लोग जो निराशहो गए थे, नए ढंग से सोचने लगे हैं। बात शायद 1944 की है। डॉ सुशीला नैयर ने गांधीजी से पूछा था कि आपने ऐसा क्या किया कि हिंदुस्तान की गिरी-पड़ी जनता उठ खड़ी हुई? गांधीजी का जवाब...
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एक साल में कितना बदला देश- मनीषा प्रियम
एक साल पहले दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की एक ऐसी घटना हुई थी, जिसने देश-दुनिया को झकझोर दिया था। तब से अब तक यह देश कई राजनीतिक-सामाजिक बदलावों का गवाह रहा है। ‘बिटिया’ के बलिदान ने ऐसा मंच तैयार किया, जहां देश की राजनीति और उसके निजी एवं बाह्य अंतर्विरोधों पर खुलकर बहस हुई है। वह एक अमानवीय और हृदय विदारक घटना थी। लेकिन उस घटना ने देश में परिवर्तन...
More »बिहार को 12,000 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज
नयी दिल्ली/ पटना : सरकार ने आज बताया कि बिहार को बिजली, सड़क एवं सिंचाई जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सुधार के मकसद से 12वीं योजना (2012.17) की अवधि के लिए 12,000 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दिया गया है. संसदीय कार्य एवं योजना राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने एन के सिंह के एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी. बिहार के लिए विशेष योजना का अनुमोदन किया...
More »सूखते खेत-खलिहान अभी दूर है विज्ञान- अनिल जोशी
हमारे देश का एक बड़ा हिस्सा आजादी के बाद से आज तक विज्ञान के लाभ से महरूम रहा है। देश की प्रयोगशालाओं में जो भी हुआ, वह राजमार्ग से उतरकर गांव की पगडंडी पर गया ही नहीं। देश की तीन बड़ी वैज्ञानिक संस्थाओं का यह सीधा दायित्व था कि वे गांवों की विभिन्न आवश्यकताओं पर काम करें। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, विज्ञान और तकनीकी विभाग, ग्रामीण विकास संस्थान ने अपने...
More »मताधिकार के मायने- संदीप जोशी
जनसत्ता 3 दिसंबर, 2013 : पिछले दिनों अचानक पूर्वी दिल्ली के रिहायशी इलाके निर्माण विहार के शांत और लगभग सूने बगीचे में चकाचौंध रोशनी देखी। चमाचम रोशनी ऐसी कि देखने वाले को सैर करने का न्योता हो। इसी बहाने अंधेरे में भी सैर हुई। संभ्रांतता दर्शाते हुए मॉल जैसी जगमगाहट पूरे बगीचे में फैली हुई थी। वहीं ध्यान आया कि दो हफ्ते में दिल्ली के विधानसभा चुनाव होने हैं। बगीचे की...
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