दुनिया के ज्यादातर देशों में लोकतंत्र है और जहां नहीं हैं वहां लोकतंत्र बहाली के आंदोलन चल रहे हैं क्योंकि सैद्धांतिक तौर पर लोकतंत्र में व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा को सर्वाधिक महत्व प्राप्त है। लेकिन, आधुनिक लोकतंत्र को सर्वाधिक आकर्षक बनाने वाली यही बात उसे अंतर्विरोधी भी बनाती है। किसी व्यक्ति या व्यक्ति समूह की आजादी के मूल्य को ज्यादा तरजीह दी जाय तो वह शेष व्यक्तियों की आजादी, आपसी बराबरी और भाईचारे में...
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शहरी गरीबों को भी मिलेंगी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं
शुरुआत : बंगलुरू में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन लांच 50,000 से अधिक आबादी वाले 779 शहरों को शामिल किया जाएगा इस योजना के तहत मार्च 2015 तक 80 फीसदी योगदान होगा केंद्र सरकार का इस योजना को लागू करने के दौरान आने वाले खर्च में शहरी गरीब को पर्याप्त और कुशल सार्वजनिक स्वास्थ्य वितरण प्रणाली उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी...
More »संविधान में गांव की परिभाषा भी नहीं- आर के नीरद
भारत के संविधान में गांव की कोई परिभाषा नहीं है. जब गांव ही नहीं है, तो ग्राम गणराज्य भी नहीं है. यह बड़ा विरोधाभास है. महात्मा गांधी गांव गणराज्य की बात करते थे. वे आजादी का असली अर्थ गांवों की समरसता, आत्मनिर्भरता और लोकतंत्र में जन भागीदारी को मानते थे. देश आजाद हुआ और गणतंत्र भारत के लिए अपना संविधान बना, लेकिन इसमें गांव की परिकल्पना शामिल नहीं हो सकी. सब ने...
More »देश में गरीबी और आंकड़ों का मकडज़ाल- अनंत विजय काला
उलटबांसी : सरकारी अनुमानों और आंकड़ों के विपरीत देश में गरीबों की वास्तविक संख्या सामने नहीं आती केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले गरीब लोगों की संख्या के आंकड़े जारी किए। इसमें एक अच्छी खबर दिखाई दी। सरकारी विचार-मंच योजना आयोग ने कहा कि पिछले वर्ष में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों की तादाद 269.3 मिलियन,आबादी का 21.9 फीसदी थी। निश्चित...
More »और ज्यादा गेहूं निर्यात कर सकती है सरकार
सरप्लस का संकट गोदामों में ज्यादा स्टॉक होने से निर्यात आवश्यक ज्यादा सप्लाई होने से विदेश में गेहूं 9 फीसदी सस्ता लेकिन बेस प्राइस घटने से निर्यात के लिए अच्छा रिस्पांस इससे विश्व बाजार में गेहूं के मूल्य पर और दबाव बनेगा 1000 लाख टन से ज्यादा रह सकता है गेहूं का उत्पादन सरकार गोदामों में अत्यधिक भंडार को ध्यान में रखते हुए और ज्यादा गेहूं निर्यात...
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