रायपुर/नई दिल्ली। देश में बेरोजगारी की समस्या को कामकाजी महिलाएं बढ़ावा दे रही हैं। कमाऊ महिलाएं ही बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण हैं। ये हम नहीं कह रहे हैं.. ऐसा छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CGBSE) की दसवीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में लिखा हुआ है। आर्थिक समस्याओं और चुनौतियों पर किताब में लिखा गया है कि आजादी के बाद देश में बेरोजगारी का प्रतिशत बढ़ गया है, क्योंकि महिलाओं...
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बीमार स्वास्थ्य सेवा कब सुधरेगी?-- तवलीन सिंह
हर वर्ष बरसात के खत्म होते ही डेंगू का प्रकोप शुरू हो जाता है। हर वर्ष इस मौसम में दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में लोगों के डेंगू से पीड़ित होने की खबरें मिलती हैं। हर वर्ष हमारी सरकारें वही रवैया अपनाती हैं, जो दशकों से जारी है। अस्पतालों की लापरवाही को लेकर चिंता व्यक्त की जाती है। फिर मौसम बदल जाता है, डेंगू के मरीज कम हो जाते हैं, और...
More »पीएमओ के निर्देश पर उजागर हुआ खनन विभाग का रिश्वत कांड
जयपुर। राजस्थान सरकार के खान विभाग में ढ़ाई करोड़ के रिश्वत कांड का खुलासा प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर हुआ था। अभी भी कई आइएएस अधिकारी ऐसे हैं जिनकी स्क्रीनिंग पीएमओ करा रहा है। हालांकि राज्य सरकार का दावा है कि भ्रष्ट आइएएस अधिकारी एवं खान विभाग के अन्य अफसरों के खिलाफ कार्रवाई उन्होंने ही कराई है। राज्य के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि पीएमओ ने नहीं, बल्कि राज्य...
More »थकी-हारी, घबराई सेक्युलर राजनीति- योगेन्द्र यादव
सेक्युलरवाद हमारे देश का सबसे बड़ा सिद्धांत है। सेक्युलरवाद हमारे देश की राजनीति का सबसे बड़ा पाखंड भी है। सेक्युलरवाद अग्निपरीक्षा से गुजर रहा है। सेक्युलर राजनीति की दुर्दशा देखनी हो, तो बिहार आइए। यहां नैतिक, राजनीतिक, जातीय और संयोगों के चलते भाजपा की विरोधी बन गई सभी ताकतें सेक्युलरवाद की चादर ओढ़कर चुनाव लड़ रही हैं। उधर लोकसभा चुनाव जीतकर अहंकार में चूर भाजपा और उसके सहयोगी सेक्युलर भारत...
More »‘सरकारें चाहती हैं कि संसाधनों पर जनता का कोई नियंत्रण न रहे’- मेधा पाटकर
सरदार सरोवर बांध का डूब क्षेत्र 214 किलोमीटर का है. इस परियोजना से लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं. इससे विस्थापित होने वालों में 50 प्रतिशत आदिवासी और 20 प्रतिशत से ज्यादा लोग गरीब और वंचित समुदायों के हैं. नर्मदा बचाओ आंदोलन की शुरुआत जनशक्ति के आधार पर हुई है. अब तक जो हासिल हुआ वह लंबे मैदानी संघर्ष और कानूनी लड़ाइयों की वजह से संभव हुआ है. इस आंदोलन...
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