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बिहार: अध्यापकों का डांस करना अपराध है, राज्यपाल निलंबित कर देते हैं!

-सत्यहिंदी, बिहार के छपरा स्थित जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय के 16 अध्यापकों को विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष ने नाचने के चलते निलंबित कर दिया है। राज्य के सारे विश्वविद्यालयों के कुलाध्यक्ष राज्यपाल हुआ करते हैं। राज भवन ने बतलाया कि शिक्षकों का आचरण उनके पद की मर्यादा के विरुद्ध था। इसलिए उन्हें दंडित किया गया है। जाँच समिति के सदस्य निलंबित पिछले साल बाबू राजेंद्र प्रसाद की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के समाप्त...

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बॉलीवुड में किसानों के ऊपर सिनेमा बनाने का जोखिम कौन लेगा?

-जनपथ, भारत की 60-70 फीसदी जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। कहते हैं कि भारत गांवों में बसता है, बावजूद इसके वर्तमान हिंदी फिल्मों में किसानों की कहानी नहीं के बराबर आती है। लंबे समय से इस देश के किसान किसी बिमल रॉय के इंतजार में हैं जो उनकी दो बीघा ज़मीन पर एक फिल्म बना दे। आम तौर से समाज की आर्थिक संरचना में महत्वपूर्ण योगदान रखने...

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‘देश ख़तरे में है’ का हौवा स्वतंत्र विचारधारा वालों को प्रताड़ित करने का बहाना है

-द वायर, देश में आजकल हर चीज़ खतरे में दिखती है. चाहे धर्म हो, संस्कृति हो, सांप्रदायिक सद्भाव हो या समाज में शान्ति हो, सब बात-बात पर खतरे में बताए जाते हैं. हमारी स्त्रियां तक खतरे में बताई जाती हैं कि विधर्मी उन्हें बहला-फुसलाकर शादी करके धर्म परिवर्तन करा देते हैं. कितनी बार तो हमारा भूतकाल, जो बदल नहीं सकता, वो भी खतरे में बताया जाता है क्योंकि बहुसंख्यकवादी लोग ये आरोप लगाते...

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लांसेट में छपी स्टडी के अनुसार सुरक्षित है कोवैक्सीन, कम से कम 3 महीने रह सकता है इम्यून रेस्पॉन्स

-द प्रिंट, मंगलवार को प्रकाशित हुई एक स्टडी में दावा किया गया है कि कोविड टीका कोवैक्सीन से पैदा हुआ इम्यून रेस्पॉन्स कम से कम तीन महीने तक रहता है और वैक्सीन की दो खुराकों के बीच 14 दिन की बजाय 28 दिन का अंतराल ज़्यादा कारगर रहता है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और भारत बायोटेक के रिसर्चर्स द्वारा की गई और लांसेट इनफेक्शियस डिज़ीज़ेज़ पत्रिका में छपी, इस स्टडी में वैक्सीन...

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जब दिशा रवि और नवदीप कौर पत्रकारिता की एक कक्षा में पहुंचीं

-न्यूजक्लिक, हम एक ऑनलाइन क्लासरूम में बैठे हुए थे, जिसमें भारत के अलग-अलग हिस्सों से ताल्लुक रखने वाले करीब़ 20 छात्र मौजूद थे। यहां हम मीडिया में नई अवधारणाओं और तकनीकों के साथ-साथ जीवन की वास्तविकताओं को समझने की कोशिश कर रहे थे। परंपरागत ढंग से पढ़ाने के बजाए बेहतर होता है कि पाठ योजना को हम सवाल-जवाब के विमर्श में बदल लें। मैंने छात्रों से पूछा, "पत्रकारों के लिए टूलकिट...

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