शैबाल गुप्ता जाने-माने अर्थशास्त्री और एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के सदस्य सचिव हैं. पिछले दिनों इलाहाबाद स्थित गोविंद बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट ने उन्हें 29वें ‘गोविंद बल्लभ पंत मेमोरियल लेक्चर' में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था. इस अवसर पर बोलने के लिए उन्होंने जो विषय चुना, उसका शीर्षक था- ‘आइडिया ऑफ द हिंदी हार्टलैंड'. हिंदी में इसे ‘हिंदी प्रदेश की धारणा' कहा जा सकता है. इस...
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किसान ने हल में बदलाव कर बनाया खेती का नया तरीका
दिलीप साहू, रायपुर। प्रदेश के मुंगेली निवासी किसान श्रीकांत गोवर्धन ने बैलचलित सामान्य हल को अपनी सूझबूझ से ऐसा रूपांतरित किया है कि यह धान की कतार बोनी व बियासी में उपयोगी साबित हो रही है। इससे कतार बोनी के धान का बियासी के दौरान कम नुकसान हो रहा है। उनके इस प्रयोग से कम उर्वरक के साथ ही धान को कीड़ों से बचाव में भी सहायक है। इस प्रयोग को...
More »अमेरिका में एक करोड़ की आबादी प्रतिदिन दो डॉलर से भी कम में जीने को मजबूर
वॉशिंगटन। भारत की 80 फीसदी आबादी के बारे में अक्सर कहा जाता है कि ये लोग प्रतिदिन दो डॉलर से भी कम में जीवन यापन करते हैं। लेकिन अब ऐसी ही खबर अमेरिका से भी आने लगी हैं। यहां एक करोड़ लोग प्रतिदिन दो डॉलर में यानी 120 रुपए के खर्च के साथ जीते हैं। ऐसे लोग फूड स्टाम्प, सामाजिक कल्याण और स्कूलों में दिए जाने वाले मुफ्त भोजन पर...
More »2031 तक 60 करोड़ हो जाएगी शहरी आबादी
संयुक्त राष्ट्र। भारत, शहरी क्रांति की कगार पर पहुंच चुका है। संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2031 तक देश की शहरी आबादी 60 करोड़ होने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था और वातावरण पर केंद्रित वैश्विक आयोग की नई रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो दशकों में भारत की आबादी 21 करोड़ 70 लाख से बढ़कर 37 करोड़ 70 लाख हो चुकी है, जो 2031 तक साठ करोड़ हो जाएगी,...
More »बदलते पर्यावरण की विनाशलीला - सुनीता नारायण
जम्मू-कश्मीर 60 साल की सबसे भयानक बाढ़ के अभिशाप को झेल रहा है। छह लाख लोग फंसे हुए हैं और 200 से ज्यादा के मरने की खबर है। इसके साथ ही धीरे-धीरे अब सबका ध्यान इस अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा के कारणों की तरफ जा रहा है। कहा जा रहा है कि बाढ़ के पानी ने अचानक ही इस राज्य को अपनी गिरफ्त में ले लिया। लेकिन यह कैसे हुआ? हर...
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