कैंसर से बचाने के लिए हजारों गरीब बच्चियों को एक विवादित टीका लगाया जा रहा है और ऐसा करने के लिए सरकार, कंपनियां और गैरसरकारी संगठन नियम-कायदों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. शांतनु गुहा रे और कुणाल मजूमदार की रिपोर्ट नागेश्वर और वेंकटम्मा से जब कोई सरिता के बारे में पूछता है तो वे कुछ नहीं कहते. बस दीवार पर टंगी एक फोटो की तरफ इशारा कर देते हैं. आप कुछ...
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निजाम नया, अंजाम नया
सासाराम [कार्यालय प्रतिनिधि]। जिले में कभी ओझा गुनी बीमारों का इलाज करते थे और सरकारी अस्पताल बदहाली का रोना रोते थे, लेकिन नए निजाम में व्यवस्था के बदले अंदाज ने इस तथ्य को बदल डाला है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती भीड़ इस बात की गवाह है कि लोगों का विश्वास सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ा है। अंधविश्वासों पर यकीन करने वाले लोग यह समझने लगे हैं कि हर मर्ज की दवा है। पहले...
More »जम्मू-कश्मीर में महिलाएं बैंक खोलने की तैयारी में
जम्मू [गुलदेव राज]। बदलते जमाने में महिलाएं हर क्षेत्र में प्रवेश कर सबको हैरान कर रही हैं। अब तो औरतें बड़े-बड़े पदों पर भी अपनी दस्तक दे रही हैं। आजादी के 62 सालों बाद आज स्कूल, कालेज, अस्पतालों, विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों की छोटी बड़ी सब नौकरियों में औरतों की अच्छी भागीदारी नजर आती है। मगर जम्मू-कश्मीर में तो औरतों ने नौकरियों में पुरुषों का पत्ता ही काटने का मन बना लिया है।...
More »सब ताज उछाले जाएंगे, सब तख्त गिराये जाएंगे- अरुंधति रॉय
दंतेवाड़ा को समझाने के कई तरीके हो सकते हैं। यह एक विरोधाभास है। भारत के हृदय में बसा हुआ राज्यों की सीमा पर एक शहर। यही युद्ध का केंद्र है। आज यह सिर के बल खड़ा है। भीतर से यह पूरी तरह उघड़ा पड़ा है। दंतेवाड़ा में पुलिस सादे कपड़े पहनती है और बागी पहनते हैं वर्दी। जेल अधीक्षक जेल में है, और कैदी आजाद (दो साल पहले शहर की पुरानी जेल से करीब 300...
More »आँखों को बेनूर कर रहा पानी- मीनाक्षी अरोड़ा
बिहार के भोजपुर जिले के बीहिया से अजय कुमार, शाहपुर के परशुराम, बरहरा के शत्रुघ्न और पीरो के अरुण कुमार ये लोग भले ही अलग-अलग इलाकों के हैं, पर इनमें एक बात कॉमन है, वो है इनके बच्चों की आंखों की रोशनी। इनके साथ ही सोलह और अन्य परिवारों में जन्में नवजात शिशुओं की आँखों में रोशनी नहीं है। इनकी आँखों में रोशनी जन्म से ही नहीं है। बिहार के...
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