कुछ वाक्य बड़े चमकदार होते हैं. मुंह से निकलते ही ऐसे वाक्य सबकी जबान पर चढ़ जाते हैं. इस हफ्ते की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में रेल पुल के शिलान्यास के वक्त प्रधानमंत्री के मुंह से ऐसा ही चमकदार वाक्य निकला कि ‘गरीब चैन की नींद सो रहा है, कालेधन वाले नींद की गोलियां खरीद रहे हैं.' प्रधानमंत्री शायद यूपी के चुनावों को देखते हुए पुरबिया अंचल के लोगों...
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मुद्रामुक्त समाज का दिवास्वप्न-- पुष्परंजन
यूरोप का पहला देश है स्वीडन, जहां सन् 1661 में पहली बार बैंक नोट जारी किया गया था. उसी स्वीडन ने 2030 तक संपूर्ण रूप से करेंसी नोट मुक्त करने का संकल्प किया है. स्टाॅकहोम रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर निकलस अरविंदसन ने 2013 में एक अध्ययन के जरिये अनुमान लगाया था कि स्वीडन 2030 तक ‘मुद्रामुक्त समाज‘ घोषित हो जायेगा. अरसे से स्वीडन की बसों, मेट्रो में कैश...
More »समृद्ध झारखंड का जनस्वप्न --- अनंत कुमार
राजनेताओं ने यह सोचा था कि शासन में स्थानीय आदिवासियों की सहभागिता झारखंड का विकास सुनिश्चित करेगी. दुर्भाग्यवश, खनिजों, वनों तथा प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न झारखंड भ्रष्टाचार, विकास की कमी, नक्सलवाद, राजनीतिक अस्थिरता, कुशासन, आदिवासियों के शोषण के साथ कुछ अन्य सामाजिक तथा राजनीतिक समस्याओं का शिकार हो गया. दूसरी ओर, राजनीतिक नेतृत्व, सिविल सोसाइटी तथा अकादमिक क्षेत्र राज्य के विकास की एक प्रभावी योजना तैयार नहीं कर सका. इस स्थिति...
More »झारखंड की संभावनाओं भरी राह-- अलख नारायण शर्मा
एक राज्य के तौर पर झारखंड ने सोलह साल का सफर तय कर लिया है. इस दौरान एक अलग राज्य के तौर पर झारखंड ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है. लेकिन, नये राज्य के बनने के बाद से झारखंड से जैसी उम्मीद की जा रही थी, वैसा कुछ हो नहीं हो पाया. फिर भी यह कहना गलत नहीं होगा कि इस दौरान राज्य कई मामले में आगे बढ़ा है....
More »नोटबंदी के साइड इफेक्टस् : सबसे ज्यादा चोट किसपर ?
विमुद्रीकरण से मची अफरा-तफरी के बीच क्या देश इस हालत में है कि रोजमर्रा की चीजों की खरीद के लिए सरकारी घोषणाओं के मुताबिक बैंकों और एटीएम से नगदी जुटा सके ? सरकारी घोषणाओं में देशवासियों से कहा गया है कि वे नगदी की तात्कालिक कमी से होने वाली असुविधा के लिए क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, मोबाइल और इलेक्ट्रानिक वैलेट का इस्तेमाल करें. लेकिन क्या देश कैशलेस इकॉनॉमी की तरफ कदम...
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