-लल्लनटॉप, एस. जयशंकर. भारत के विदेश मंत्री. उन्होंने लद्दाख में भारत-चीन के बीच तनाव पर 27 अगस्त को बयान दिया. कहा कि 1962 के बाद अभी गलवान घाटी में सबसे खराब हालात हैं. 45 साल बाद यहां पर सैनिकों की मौत हुई है. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर दोनों देशों ने जिस तरह सेना को तैनात कर रखा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. एस. जयशंकर ने अंग्रेजी वेबसाइट ‘रेडिफ...
More »SEARCH RESULT
पैकेज बिना सब सूना
-आउटलुक, “मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुसार दूसरा राहत पैकेज कोरोना का वैक्सीन आने के बाद, लेकिन पैकेज को अनिश्चितता से जोड़ना कितना उचित” विक्रम देकाते की औरंगाबाद में डेक्सन कास्टिंग नाम की कंपनी है, जो दोपहिया वाहनों के लिए एल्युमिनियम कास्टिंग करती है। उन्होंने प्रॉपर्टी के एवज में एक एनबीएफसी से कर्ज ले रखा था। लॉकडाउन के दौरान कैशफ्लो घट गया तो इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत वर्किंग कैपिटल लोन...
More »कुपोषण से जूझते राजस्थान में क्यों उम्मीद की किरण है सुपोषण वाटिका?
-गांव कनेक्शन, कुपोषण राजस्थान ही नहीं पूरे देश के लिए गंभीर समस्या है। इस मामले में राजस्थान असम और बिहार के बाद तीसरे नंबर पर है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 के अनुसार प्रदेश में 38.4% बच्चों का वजन औसत से कम है। 23.4 फीसदी बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर, 8.7% बच्चे अति कमजोर और 40.8 फीसदी बच्चे अविकसित हैं। 2011 जनगणना के अनुसार प्रदेश में एक करोड़ से ज्यादा बच्चे 0-6...
More »कॉन्ट्रैक्ट पर खेती करने वाले सौदों में छोटे किसानों को क्यों नुकसान उठाना पड़ता है
-न्यूजक्लिक, अनुबंध (Contract) पर खेती का विस्तार हाल के दशकों में तेजी से बढ़ा है और भारत भी ऐसा लगता है कि अपने हालिया लागू कानूनों, दिशानिर्देशों और नियमों के तहत इस दौड़ में खुद को शामिल करने के लिए तैयार कर रहा है। ठेके या अनुबंध खेती से जुड़े अनुभवों की अगर बात करें तो विकसित देशों के साथ-साथ जिन भी विकासशील देशों में इसे लागू किया गया है, वे...
More »तब्लीग़ी जमात: सरकार और मीडिया को शर्मसार करता है बॉम्बे हाई कोर्ट का फ़ैसला
-सत्यहिंदी, अपने देश में जब-जब भी न्यायपालिका को लेकर लोगों का भरोसा डिगने लगता है और वे हताश-निराश होने लगते हैं, तब-तब न्यायपालिका के किसी न किसी हिस्से से ऐसी कोई आवाज़ आ जाती है, जो आश्वस्त करती है कि अभी सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ है। इन दिनों कई मामलों को लेकर देश की न्यायपालिका की कार्यशैली पर उठ रहे संदेह और सवालों के धुएँ के बीच बॉम्बे हाई कोर्ट...
More »