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मनरेगा के प्रति हो रहा है मोहभंग- लखन सालवी

भीलवाड़ा जिले में मनरेगा के तहत स्वीकृत हुए श्रेणी-4 के कार्य पूर्ण नहीं हो पाए हैं। 14,663 व्यक्तिगत कार्य स्वीकृत हुए थे जिनमें से केवल 5,825 पर ही कार्य पूर्ण हुए हैं। जून माह तक 39 प्रतिशत कार्यों के लिए मस्टररोल जारी हो पाए हैं। शेष अधरझूल में हैं। प्रशासन का कहना है कि मजदूर नहीं मिल रहे हैं। ये प्रशासन का अपनी नाकामयाबी को छिपाने के लिए दिया गया बयान है। काम पूरे नहीं हो पाने...

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भ्रष्टाचार विरोधी उपायों की समीक्षा करेगी सरकार

नई दिल्ली : भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लडाई में एक कदम और बढाते हुए केंद्र ने आज कहा कि वह केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा अपनाये जा रहे भ्रष्टाचार विरोधी उपायों की समीक्षा करेगा. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने सरकारी विभागों से सभी विचाराधीन अनुशासनात्मक जांच की प्रगति तथा सतर्कता कार्यों संबंधी कार्य बोझ और इसके लिए लगाये गये मानवश्रम के बारे में ब्यौरा मंगवाया है. यह कार्रवाई भ्रष्टाचार...

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राजनांदगांव में नकली खाद की तीन फैक्ट्रियों का भांडाफोड़

राजनांदगांव। राजस्व व कृषि विभाग की टीम ने रविवार सुबह छापा मारकर नकली खाद बनाने वाली तीन फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ किया। ये तीनों फैक्ट्रियां सोमनी इलाके में स्थित हैं, जहां से करीब 10 हजार बोरी नकली खाद जब्त की गई है। जब्त खाद की कीमत 30 लाख रुपए है। फिलहाल कृषि विभाग के अधिकारियों ने खाद का सैंपल लेकर फैक्ट्रियों को सील कर दिया है। तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट आने...

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पैरेंट्स से कर रहे हैं निजी स्कूल जमकर अवैध वसूली

रायपुर। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के इच्छुक शहर के अभिभावकों से निजी स्कूल जमकर वसूली कर रहे हैं। वे कई ऐसी मदों में पैसे ले रहे हैं जो कानूनन अवैध हैं। स्कूली शिक्षा विभाग ने अवैध माने गए इन मदों की बाकायदा सूची जारी की है। इसके बावजूद स्कूल धड़ल्ले से वसूली कर रहे हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने शहर के 350 में से 120 निजी स्कूलों की...

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निर्मल भारत कैसे बनेगा- ऋषि कुमार सिंह

जनसत्ता 10 जुलाई, 2012: साफ-सफाई के मुद्दे पर भारत सरकार ने निर्मल भारत योजना बनाई है, जिसकी सफलता के लिए फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन को अपना ब्रांड एंबेस्डर नियुक्त किया है। बात बस इतनी-सी है, लेकिन इसका असर और यहां से उपजे संदेश को महज साफ-सफाई की जरूरत तक नहीं समेटा जा सकता। इसे महज बाजार की प्रवृत्ति कह देना भी जल्दबाजी होगी। राजनीति जैसी गतिविधि के हित-अहित पर इसका आकलन...

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