दुनिया के इतिहास में यह पांचवीं सबसे जानलेवा लू है, जिसका सामना हम इन दिनों कर रहे हैं। 2200 से ज्यादा लोगों की अब तक यह जान ले चुकी है। क्या हमें और मौतों का इंतजार है, जिसके बाद ही हम लू के खतरे का सामना करने के लिए कोई राष्ट्रीय नीति बनाएंगे? ध्यान रहे कि पिछले कुछ दिनों में गर्म हवा के थपेड़ों से जितने लोगों की मौतें हुई...
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जीएसटी : एक अहम सुधार में हो रही गड़बड़ी - जयराम रमेश
जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर संबंधी संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा की स्थायी समिति को सौंप दिया गया है। जीएसटी वास्तव में अप्रत्यक्ष कराधान की संरचना में बेहद अहम सुधार वाला कदम है और यह समेकित राष्ट्रीय आम बाजार की रचना में मदद करेगा। इससे उपभोक्ताओं को कम कीमत में सामान मिल सकते हैं। उद्योग और व्यापार के लिए निश्चित रूप से यह ज्यादा...
More »भीषण गर्मी और लू से मरने वालों की संख्या हुई 1826
नयी दिल्ली: देश के कई हिस्से भीषण गर्मी और लू की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या आज 1826 हो गयी जिनमें से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कल से अब तक 414 लोगों की मृत्यु हुई है. आंध्रप्रदेश में लू से मरने वालों की कुल संख्या 1334 है जबकि तेलंगाना में 440 लोग लू की चपेट में आकर मारे जा चुके हैं. कल आंध्र प्रदेश में यह...
More »रोजगार के मौके बढ़ाने में मददगार होंगे नए श्रम कानूनः सरकार
नई दिल्ली। श्रम कानूनों में प्रस्तावित बदलाव को लेकर ट्रेड यूनियनों की चिंता दूर करते हुए श्रम मंत्रालय ने कहा है कि इसका मकसद नए कारखाने लगाने के लिए नियमों को सरल बनाना, रोजगार के मौके बढ़ाना और सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाना है। श्रम मंत्रालय ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की 10 सूत्री मांग पत्र पर स्थिति रिपोर्ट में कहा है, 'इन श्रम कानून सुधारों का मकसद नई यूनिट्स लगाने की...
More »उपलब्धियों से अधिक चुनौती -- अजय बोस
केंद्र की सत्ता में एक साल पूरे होने के अवसर पर भाजपा चाहे कितना भी जश्न क्यों न मनाए, वास्तविकता यह है कि उसकी परेशानी छिपाए नहीं छिप रही। अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि कॉरपोरेट हितैषी की रही है। लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद से उनकी यह छवि कमोबेश खंडित होती दिखाई देती है। पिछले दिनों खत्म हुए बजट सत्र में उनकी कोशिशों के बावजूद ऐसा कुछ नहीं हुआ,...
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