देश में हाल के दिनों में गणतंत्र दिवस को लेकर लोगों के मन में एक अलग तरह का दुराव पैदा हो गया है. लोगों को लगता है कि गणतंत्र दिवस मनाना बेकार बात है, झंडा फहराने और परेड करने से क्या फर्क पड़ता है. मगर पिछले दिनों एक दलित महिला विचारक ने कहा कि देश के सभी वंचितों को गणतंत्र दिवस जरूर मनाना चाहिये, क्योंकि इस देश के लोगों को आजादी...
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नये साल में आर्थिक व्यूह रचेगा भारत!- पुष्परंजन
भारतीय आइटी उद्योग उत्तर अमेरिका से सरक कर यूरोप की ओर जा रहा है. 2014 में इस तरह की भविष्यवाणी से अमेरिका की भृकुटी तन गयी है. नास्कॉम के अध्यक्ष सोम मित्तल की सुनिये, तो यूरोप भारतीय आउटसोर्सिस सेवा को इस साल अपनी ओर आकर्षित करेगा, जिससे सिर्फ आइटी सेक्टर से 108 अरब डॉलर के लाभ की उम्मीद की जा सकती है. क्या इसके लिए 22 से 25 जनवरी तक दावोस में...
More »प्याज 90 रूपए किलो तक पहुंचा, सरकार कर सकती है आयात
नई दिल्ली। देश के प्रमुख शहरों में प्याज का दाम आज अब तक के उच्च स्तर 90 रूपए प्रति किलो तक पहुंच गया। इसको देखते हुए सरकार इसके आयात पर विचार करने लगी है। कृत्रिम कमी के लिए व्यापारियों को दोष देते हुए सरकार ने आज कहा कि वह कीमत स्थिर होने तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाएगी। हालांकि इस पर तत्काल प्रतिबंध से इनकार किया। प्रमुख शहरों में प्याज का...
More »लखीमपुर: महिला तस्करी की नई राजधानी- प्रियंका दुबे
रह्मपुत्र और सुबनसिरी जैसी विशाल नदियों के बीच बसा असम का लखीमपुर जिला पहली नजर में खुशहाल इलाका दिखता है. ढलानों पर पसरे चाय-बागान, दूर तक फैले धान के खेत और पानी से लबालब सैकड़ों तालाब. लेकिन सतह को थोड़ा ही कुरेदने पर इस खुशनुमा तस्वीर के पीछे की भयावह सच्चाई दिखती है. पता चलता है कि बागानों में चाय की पत्तियां तोड़ते मजदूरों और पानी में डूबे खेतों में...
More »कहां पहुंची यह मूक क्रांति!- कमल नयन चौबे
प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री क्रिस्टोफ जेफरलॉट ने अपने लेख ‘कास्ट एंड राइज ऑफ माजिर्नलाइज्ड ग्रुप्स' में राजनीतिक रूप से शक्तिशाली रही अभिजन जातियों के वर्चस्व को चुनौती देते हुए मध्यवर्ती जातियों के उभार को सत्ता के हस्तांतरण के तौर पर देखा है और इसे एक मूक क्रांति की संज्ञा दी है. लेकिन क्या यह मूक क्रांति वास्तव में अपने लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रही है? क्या जाति आधारित राजनीति में साधन यानी...
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