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खानपान थोपने की बेजा कोशिशें - मृणाल पांडे

पिछले कुछ समय से भारतीय खानपान के लोकतंत्र में मांसाहार के खिलाफ शाकाहार के स्वयंभू रक्षकों ने एक अजीब सा धावा बोल रखा है। भारतीय परंपरा की शुचिता बनाए रखने की अपील करते हुए वे देश के सभी लोगों को जबरन मांसाहार से शाकाहार की तरफ हांक रहे हैं। संभव है कि उनको किसी हद तक शाकाहारी धड़े के मन की बनावट की कुछ जानकारी हो, किंतु वे इस महत्वपूर्ण...

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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे : यूपी में सामान्य से कम वजन की व्यस्क आबादी सबसे ज्यादा !

अगर आप यूपी सरकार के सलाहकार होते तो इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्देश के बारे में क्या कहते जिसमें याद दिलाया गया है कि जीवन, जीविका और भोजन की पसंद पर पाबंदी नहीं लगायी जा सकती?   शायद आप यूपी की योगी-सरकार को कहते कि कोर्ट के निर्देश को गंभीरता से लीजिए क्योंकि यूपी देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है और इसी यूपी में भोजन और पोषण की कमी के मारे लोगों...

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दुनिया के नक्शे पर भुखमरी की बढ़ती आशंकाएं-- भारत डोगरा

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम ने चेतावनी दी है कि विश्व के चार अलग-अलग हिस्सों में अकाल के कारण अगले छह महीनों में दो करोड़ लोगों की भूख से मौत हो सकती है। यह चार अति संवदेनशील क्षेत्र हैं- यमन, पूर्वोत्तर नाइजीरिया, दक्षिणी सूडान और पूर्वी अफ्रीका के कुछ भाग। विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख अर्थशास्त्री आरिफ हुसैन ने कहा है कि पिछले 15 वर्ष में पहली बार ऐसी...

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जंगल से आती है भोजन की थाली-- बाबा मायाराम

पिछले साल सत्रह सितम्बर की सुबह 10 बजे थे। ओडिशा का छोटा कस्बा था मुनिगुड़ा। स्कूली बच्चों की एक टोली की भीड़ जमा है। यहां एक खाद्य प्रदर्शनी लगी है। कोई बैल की आकृति का भूरा कांदा, गुलाबी और लाल बेर, गहनों की तरह चमकते मक्के के भुट्टे, काली और सुनहरी धान की बालियां,फल्लियां और छोटे दाने का सांवा, कुटकी और मोतियों की तरह की ज्वार। इस खाद्य प्रदर्शनी में...

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कैसे रुके शिशु मृत्यु दर-- रमेश सर्राफ धमोरा

किसी भी समाज की खुशहाली का अनुमान उसके बच्चों और माताओं को देख कर लगाया जा सकता है। पर जिस समाज में हर साल तीन लाख बच्चे एक दिन भी जिंदा नहीं रह पाते और करीब सवा लाख माताएं हर साल प्रसव के दौरान मर जाती हैं, उस समाज की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब देश में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, तब ऐसा...

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