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तीसरी दुनिया: वायरस पर नियंत्रण के बहाने दुनिया को एबसर्ड थिएटर में बदलती सरकारें

-मीडियाविजिल, लंदन से प्रकाशित दैनिक ‘इंडिपेंडेंट’ ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जाहिर की है कि कई देशों की सरकारें कोरोना वायरस पर नियंत्रण के बहाने अपने उन कार्यक्रमों को पूरा करने में लग गयी  हैं जिन्हें पूरा करने में जन प्रतिरोध या जनमत के दबाव की वजह से वे तमाम तरह की बाधाएं महसूस कर रहीं थीं। रिपोर्ट के अनुसार 16 मार्च को संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध विशेषज्ञों...

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कोरोना वायरस का सबसे पहला टीका शायद जर्मनी में बने लेकिन पूरी दुनिया फिलहाल लगी इसी जुगत में है

-सत्याग्रह, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और कुछ जानते हों या न जानते हों, शेखी बघारना खूब जानते हैं. कोरोना वायरस के कहर के बारे में 11 मार्च को उन्होंने बड़े ताव में कहा था कि उससे निपटने की ‘’जितनी अच्छी तैयारी अमेरिका ने कर रखी है, उतनी किसी और देश ने नहीं की है.’’ इससे पहले तक वे कह रहे थे कि यह चीन और यूरोप वालों का सरदर्द है. लेकिन...

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कोरोना: महामारी के दौर में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी ज़रूरी है

- द वायर,  किसी वैश्विक महामारी का मनोवैज्ञानिक परिणाम सामाजिक ताने-बाने पर भी असर डालता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के पहले महानिदेशक ब्रॉक चिशहोम, जो कि एक मनोरोग चिकित्सक भी थे, की प्रसिद्ध उक्ति है : ‘बगैर मानसिक स्वास्थ्य के, सच्चा शारीरिक स्वास्थ्य नहीं हो सकता है.’ उनके ये शब्द इस विचार का समर्थन करते हैं. सालों के रिसर्च के बाद इस बात को लेकर कोई शक नहीं रह गया है कि...

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कोरोना का नया केंद्र अमेरिका, एक ही दिन में 16 हजार से ज्यादा मामले

-सत्याग्रह, चीन और इटली के बाद अमेरिका कोरोना वायरस का नया केंद्र बन गया है. खबरों के मुताबिक वहां एक ही दिन में इससे होने वाली बीमारी यानी कोविड-19 के 16 हजार नए मामले दर्ज किए गए हैं. इसे मिलाकर अमेरिका में कोरोना वायरस के कुल मामलों का आंकड़ा 85 हजार पहुंच चुका है जो चीन से भी ज्यादा है. यह वायरस किस तेजी से फैल रहा है इसका अंदाजा इस...

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कोरोना वायरस, सर्विलांस राज और राष्ट्रवादी अलगाव के ख़तरे

-न्यूजलॉन्ड्री,  दुनिया भर के इंसानों के सामने एक बड़ा संकट है. हमारी पीढ़ी का शायद यह सबसे बड़ा संकट है. आने वाले कुछ दिनों और सप्ताहों में लोग और सरकारें जो फ़ैसले करेंगी, उनके असर से दुनिया का हुलिया आने वाले सालों में बदल जाएगा. ये बदलाव सिर्फ़ स्वास्थ्य सेवा में ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था, राजनीति और संस्कृति में भी होंगे. हमें तेज़ी से निर्णायक फ़ैसले करने होंगे. हमें अपने फ़ैसलों...

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