-न्यूजलॉन्ड्री, अमेरिका में पुलिसिया दमन से मारे गए जॉर्ज फ्लॉएड की मौत के बाद दुनिया भर में नस्लवाद के खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं. हर ज़ुबान में बहुत कुछ लिखा जा रहा है. हिन्दी में भी टिप्पणियों और लेखों का अंबार है. पश्चिमी मुल्कों में पिछले कई सालों से चल रहे आंदोलन 'ब्लैक लाइव्स मैटर' को लेकर हिन्दी में कैसे लिखा जाए, यह एक समस्या है. 'ब्लैक' लफ्ज़ ही समस्या है....
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सहरिया आदिवासी: लॉकडाउन की मार से त्रस्त
इस बार गर्मियों के दिन पूरन के लिए कुछ अलग हैं, इस साल कोई 'फड़' नहीं लगी गांव में. वैसे हर साल इन दिनों में 'फड़' लगती थी और पूरन अपने परिवार सहित तेंदू पत्ता तोड़ने जंगल जाते थे, इस बार कोरोना वायरस की वजह से ऐसा नहीं हुआ. पूरन शिवपुरी जिले के कुंवरपुर गांव में रहते हैं, वो सहरिया आदिवासी हैं. इन दिनों वो कुंवरपुर की 'सहराना' बस्ती मे लॉकडाउन...
More »वैश्विक आपदा के बहाने ऑनलाइन उच्च शिक्षा देश के गरीब और ग्रामीण वर्ग के बीच असमानता की खाई को और बढ़ाएगी
-द प्रिंट, कोविड-19 जैसी वैश्विक आपदा का दुष्प्रभाव उच्च शिक्षा पर पड़ना स्वाभाविक है. लेकिन इस आपदा को भारत सरकार इलीट समुदायों के लिए ‘अवसर’ बनाने की नीयत से काम कर रही है. आपदा के वक्त वैकल्पिक निर्देशों की आड़ में तमाम विवादित आपत्तिजनक प्रावधानों को लागू किया जा रहा है. उसमें एक नई चुनौती बनकर सामने आई है- ऑनलाइन उच्च शिक्षा. दिल्ली विश्वविद्यालय ने हाल ही में निर्देश दिया कि वह...
More »क्या सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जनजातियों को मिले अधिकारों को बोझ समझता है?
-द वायर, चेबरोलू लीला प्रसाद और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का हालिया फैसला हमें एक बार फिर यह दिखाता है कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची, जिस पर आदिवासी अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व है, को कितना कम समझा गया है. राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों को शत प्रतिशत आरक्षण देने के वर्ष 2000 के...
More »प्रवासी मजदूर : नए दौर के नए अछूत
ग्रामीण क्षेत्रों में रिपोर्टिंग करते समय मुझे बहुत से ऐसे प्रवासी मजदूर मिले हैं, जो अक्सर कहते हैं, “परेशान होकर हम शहरों में आए हैं। हम गांव में थोपी गई जाति व्यवस्था के कारण अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।” ऐसा नहीं है कि केवल गांव ही “महान भारतीय जाति व्यवस्था” का पालन करते हैं, लेकिन इस व्यवस्था से सबसे अधिक पीड़ित वे गरीब हैं जो जाति के सबसे निचले...
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