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कोरोना महामारी के बीच 17 महीनों में दिल्ली सरकार ने विज्ञापन पर खर्च किए 490 करोड़

-न्यूजलॉन्ड्री,  12 जनवरी को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पंजाब के मोहाली में थे. यहां डोर टू डोर प्रचार के सवाल पर केजरीवाल ने कहा, ‘‘कोरोना के चलते चुनाव आयोग ने डोर टू डोर कैंपेनिंग के लिए कहा है, लेकिन हम तो डोर टू डोर ही करते हैं. ये ट्रेडिशनल तरीका होता था चुनाव लड़ने का. अब तो पैसे खर्चते हैं. बड़े-बड़े एड...

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कोविड-19 की तीसरी लहरः कैसी है झारखंड की तैयारी, क्या है गांवों का हाल

-डाउन टू अर्थ, जर्मनी में रहनेवाली एक महिला के परिजन देवघर में रहते हैं। उनके पिता बीते 6 जनवरी को कोविड पॉजिटिव पाए गए उन्हें हार्ट से संबंधित बीमारी भी थी। स्थानीय डॉक्टर ने कहा कि आप रांची में किसी आइसोलेशऩ सेंटर में चले जाइए, ताकि जरूरत होने पर बेहतर इलाज मिल सके। लेकिन उन्हें इस सुविधा की जानकारी नहीं मिल सकी।  हालांकि रांची के डोरंडा में आइसोलेशन सेंटर सेंटर है। इसके...

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गोवा से महाराष्ट्र तक, ‘नॉन-ट्रांसमिसेबल’ बीमारियों के बोझ के बारे में क्या कहती हैं कोविड मौतें

-द प्रिंट, भारत में कोविड-19 का पहला केस जनवरी 2020 में केरल से सामने आया था. दो साल बाद अनुमान के मुताबिक़ महामारी में राज्य के हर 1 हजार लोगों में से एक की मौत हुई. और ये सिर्फ केरल की बात नहीं है. क्राउडसोर्सिंग प्लेटफॉर्म कोविड19भारत (जो राज्यवार स्वास्थ्य बुलेटिन्स से आंकड़े इकट्ठा करता है) के मुताबिक, कम से कम ऐसे चार राज्य और केंद्र-शासित क्षेत्र और हैं- गोवा, महाराष्ट्र,...

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भारत की प्रशासनिक सेवाओं में महिलाएं इतनी कम क्यों?

-इंडियास्पेंड, साल 1951 में पहली बार जब भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में महिलाओं को शामिल करने का फैसला लिया गया तो एक महिला थी, लगभग सात दशक बाद 2020 में महिलाओं की संख्या कुल आईएएस अधिकारियों का सिर्फ 13% है। अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा (टीसीपीडी) द्वारा संकलित भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी डेटासेट (Indian Administrative Service Officers Dataset) को लेकर किए गए विश्लेषण में इंडियास्पेंड ने पाया कि 1951...

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बिहार: गरीबी पर गंदी राजनीति

-आउटलुक, “डबल इंजन सरकार में शिक्षा और काम की तलाश में दूसरे राज्य जाने वालों की रफ्तार और बढ़ी” देश सिर्फ नई दिल्ली में नहीं बन सकता। विकास के पैमानों पर बिहार का लगातार निचले पायदान पर होना सामूहिक राष्ट्रीय बेचैनी का विषय होना चाहिए। दुर्भाग्यवश सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग की रिपोर्ट का केंद्र सरकार के नीतिगत दृष्टिकोण और बिहार सरकार पर कोई असर नहीं दिखता है। इस रिपोर्ट में सभी...

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