SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 981

क्या हत्या, आत्महत्या और बलात्कार के मामलों में अपनी ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघ रहा है मीडिया

-द प्रिंट, क्या वास्तव में आत्महत्या और हत्या की घटनाओं में मीडिया, विशेषकर इलेक्ट्रानिक मीडिया, समानांतर जांच शुरू करके आपराधिक मामलों में पुलिस की जांच में हस्तक्षेप पैदा करने लगा है? क्या समानांतर जांच करके मीडिया अपनी ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघ रहा है? बालीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में चुनिन्दा चैनलों की भूमिका के परिप्रेक्ष्य में बंबई उच्च न्यायालय की व्यवस्था से यही निष्कर्ष निकलता है कि हमारे इलेक्ट्रानिक...

More »

कार्यकारी (और) संपादक

-द कारवां, जैसे ही यह स्पष्ट हो गया कि डोनाल्ड ट्रंप सत्ता से बाहर हो गए हैं और जो बाइडन अमेरिका के नए राष्ट्रपति होंगे, अनंत गोयनका ने एक ट्वीट किया : मैं आशा करता हूं कि बाइडन की जीत के बाद अमेरिकी समाचार मीडिया अपने पक्षपातपूर्ण तरीके के बारे में आत्मावलोकन करेगा. वह केवल अपने प्रति वफादारों और ईको-कक्ष समुदाय के पाठकों के बजाय अवश्य ही सकल आबादी के विचारों का...

More »

कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित कराने के लिए बुलाया जाएगा बंगाल विधानसभा का सत्र: ममता बनर्जी

-द प्रिंट, नये कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि इन विवादास्पद कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के वास्ते विधानसभा का सत्र आहूत करने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाएंगे. विधानसभा चुनाव के करीब आने के बीच बनर्जी ने संकेत दिया कि वह प्रधानमंत्री किसान योजना को पश्चिम बंगाल में लागू करने को लेकर तैयार हैं. उन्होंने कहा...

More »

उत्तर प्रदेश और बिहार के पांच वर्ष से कम उम्र के मासूम बच्चों पर वायु प्रदूषण का खतरा सबसे अधिक

-डाउन टू अर्थ,  उत्तर प्रदेश और बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे बड़े और प्रति व्यक्ति कम आय वाले राज्य खतरनाक स्तर के पार्टिकुलेट मैटर वाले वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। यह राज्य वायु प्रदूषण के कारण होने वाली समयपूर्व मौतों और रुग्णता के कारण जबरदस्त आर्थिक नुकसान भी उठा रहे हैं। यह बात इस तरफ भी इशारा कर रही है कि इन राज्यों में वायु प्रदूषण की बलि सबसे ज्यादा गर्भ...

More »

लॉकडाउन के बाद भी भुखमरी और सिकुड़ती आय के खतरे बरकरार!

11 राज्यों के 3,994 उत्तरदाताओं के बीच एक सर्वेक्षण के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि अधिकांश कमजोर परिवारों और समुदायों, जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, पीवीटीजी, झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले, दिहाड़ी मजदूर, किसान, एकल महिला परिवार, इत्यादि में लॉकडाउन से पहले उनकी आय के स्तर की तुलना में सितंबर-अक्टूबर के दौरान उनकी आय कम रही है. राइट टू फूड कैंपेन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (टेलीफोनिक सर्वेक्षण के...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close