इंदौर। प्रॉपर्टी के मालिकाना हक के मामले में मध्यप्रदेश के गांवों की महिलाओं ने शहरी महिलाओं को पीछे छोड़ दिया है। जहां 44.7 फीसदी ग्रामीण महिलाओं के नाम मकान या जमीन है, वहीं शहरों में यह आंकड़ा महज 40.1 फीसदी है। हालांकि लगता है गांवों की महिलाओं को मोबाइल में ज्यादा रुचि नहीं। इसीलिए खुद का मोबाइल रखने वाली शहरी और ग्रामीण महिलाओं में बहुत बड़ा अंतर है। ये अहम जानकारी...
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अर्थव्यवस्था की गतिकी-- संदीप मानुधने
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के वर्षभर के पहले अग्रिम आकलन के मुताबिक सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की वार्षिक वृद्धि दर का आंकड़ा अनुमान से काफी कम आया है. सीएसओ का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी 6.5 फीसदी के दर से बढ़ेगी, जबकि रिजर्व बैंक का आकलन 6.7 फीसदी का था. यह अन्य अनुमानों से भी कम ही है. अपने-आप में जीडीपी की वृद्धि दर शायद बहुत अधिक...
More »बचत पर बाजार की नजर-- राजू पांडेय
अब आम आदमी का धन क्या बैंकों में सुरक्षित नहीं रहेगा? एफआरडीआइ विधेयक की बाबत इस सवाल पर चर्चा जारी है। सामान्यतया बैंक और उसके जमाकर्ताओं के हित परस्पर विरोधी नहीं होते, पर जब उद्योगपतियों को दिए गए विशाल कर्जों की माफी के लिए ‘बेलआउट पैकेज' और इस कारण दिवालियेपन के कगार पर पहुंचे बैंकों को बचाने के लिए ‘बेल इन' का सहारा लिया जाता है तब बैंकों और जमाकर्ताओं...
More »80 की उम्र में जुनून के साथ कर रहे खेती, सालाना कमाई 4 लाख
कटनी। नईदुनिया प्रतिनिधि उम्र 80 वर्ष की और खेती का जुनून ऐसा की युवा किसान भी हैरान हो जाए। ये कहानी मझगवां में रहने वाले किसान अट्ठी लाल कुशवाहा की है जो 80 उम्र खेती कर रह रहे हैं और उसी से हर वर्ष लगभग 4 लाख रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। उनका सब्जी का व्यवसाय जिले तक सीमित नहीं रहकर पड़ोसी जिले उमरिया और उसके आगे शहडोल तक पहुंच...
More »उलटी प्राथमिकताओं की पटरी
इससे भला कौन इनकार कर सकता है कि बुलेट ट्रेन समय की मांग है। लेकिन जिस देश में 40 हजार करोड़ रुपए की राशि सुरक्षा-उपायों पर खर्च न हो पाने के कारण प्रतिवर्ष सैकड़ों लोग रेल दुर्घटनाओं में मारे जा रहे हों उसी देश में एक रेलवे मार्ग पर बुलेट ट्रेन दौड़ाने के लिए 1.10 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं! सवाल धनराशि का नहीं, प्राथमिकताओं का है।...
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