भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी की जंतर-मंतर पर आयोजित रैली के दौरान एक किसान की खुदकुशी दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे भी बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि खेती-किसानी की बदहाली पर संजीदा होने के बजाय सभी पार्टियां सियासी रोटी सेंकने में जुट गई हैं। जहां 'आप" दिल्ली पुलिस के बहाने केंद्र सरकार पर दोषारोपण कर रही है, वहीं कुछ भाजपा विरोधी कह रहे हैं कि यदि राजस्थान...
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सूखे की मार : छत्तीसगढ़ में पानी तो है लेकिन कद्रदान नहीं
रायपुर(ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ पानी की उपलब्धता के मामले में सौभाग्यशाली प्रदेश रहा है। मुख्य रूप से छह मुख्य नदियां अपनी सहायक नदियों और नालों के सहयोग से प्रदेश का पूरा क्षेत्रफल कवर करती हैं। प्रदेश की औसत बारिश भी करीब 1400 मिमी है। इस बारिश के पानी को रोकने के लिए प्रदेश के 20 हजार से अधिक गांवों में 54 हजार से अधिक तालाब हैं, इसके बावजूद कई बार प्रदेश के...
More »भूजल का सर्वे करने वाली फर्म का दफ्तर लापता
लघु सिंचाई विभाग की तरफ से जिस फर्म को गहरी व मध्यम गहरी बोरिंग से पहले भूजल के सर्वे का जिम्मा सौंपा गया है, उसका दफ्तर लापता है। क्योंकि उसका जो पता दिया गया है, वहां कोई दफ्तर ही नहीं है। जबकि किसानों को पिछले दो साल इस फर्म की सर्वे रिपोर्ट जरूर दी जा रही है। यह भी अहम पहलू है कि किसी भी बोरिंग के सर्वे के लिए...
More »30 साल में ना तो हटा जहरीला कचरा और ना ही बताई मृतक संख्या
दो और तीन दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात को भोपाल में हुई विश्व की भीषणतम गैस त्रासदी के तीस साल बीत जाने के बावजूद प्रशासन न तो अभी तक इस कांड के मृतकों से जुड़े आंकड़े उपलब्ध करा सका है और न ही इस कांड के लिये जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड परिसर में रखे गये 350 मीट्रिक टन कचरे को ही वहां से हटाया जा सका है। गैर...
More »नदी जोड़ने पर क्यों आमादा हैं हम- ज्ञानेन्द्र रावत
देश भर की नदियों को जोड़ने की बात फिर तेज हो गई है। इसे समय की जरूरत बताते हुए कहा जा रहा है कि इससे देश की 90 फीसदी खेती योग्य जमीन को सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। पिछली सरकार के समय यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया था। हालांकि यह भी सच है कि योजना आयोग इस पूरी योजना को अदूरदर्शी व अव्यावहारिक बता चुका है। पर्यावरण की...
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