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आशा और गरिमा से विस्थापन : हर्ष मंदर

भारत के अनेक मनोचिकित्सालय लंबे समय से विस्मृत दीन-दुखियों के लिए अंधकारपूर्ण बंदीगृह बने हुए हैं। मानवाधिकारों की सुरक्षा करने और सभी के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के हमारे मिले-जुले रिकॉर्ड में मानसिक रूप से विकलांग लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा और उनका पुनर्वास संभवत: सबसे चिंतनीय प्रसंगों में से एक है। कुछ साल पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट सहित कई अन्य स्वतंत्र रिपोर्टो द्वारा प्रस्तुत एक सर्वेक्षण...

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सिटिजन चार्टर ही काफी नहीं

हाल ही में हरियाणा के गुड़गांव नगर निगम ने अपने यहा सिटिजन चार्टर लागू किया है। माना जा रहा है कि यह कार्य राज्य के मुख्यमत्री भूपेंद्र सिह हुड्डा के निर्देश पर किया गया है। इसके पहले हरियाणा में कुछ दूसरी जगहों पर भी इसे लागू किया जा चुका है। चर्चा यह है कि इसे पूरे हरियाणा में लागू किए जाने के प्रयास चल रहे हैं। इसके पूर्व दिल्ली...

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..ताकि कोख में ही दम न तोड़ें किलकारियां : राजेश यादव

नागपुर. उपराजधानी में हरसाल करीब पांच हजार बच्चों की किलकारियां जन्म से पहले ही दबा दी जाती हैं। इस कड़वे सच से सबक लेते हुए मनपा का स्वास्थ्य विभाग गर्भ में पल रहे बच्चों की रक्षा के लिए आगे आया है। इसके लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं। इसके तहत गर्भपात के लिए अब मनपा से अग्रिम अनुमति लेनी पड़ेगी। मनपा के स्वास्थ्य विभाग के उपनिदेशक डॉ.राजन प्रधान ने भास्कर को बताया...

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जन्म से बंधी सामाजिक बेड़ियां : हर्ष मंदर

लाखों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आज भी उन अपमानजनक सामाजिक बेड़ियों में बंधे हुए हैं, जो उनके जन्म से ही उन पर लाद दी गई थीं। आधुनिकता की लहर के बावजूद आज भी भारत के दूरदराज के देहातों में जाति व्यवस्था जीवित है। यह वह व्यवस्था है, जो किसी व्यक्ति के जाति विशेष में जन्म लेने के आधार पर ही उसके कार्य की प्रकृति या उसके रोजगार का निर्धारण कर...

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सावधान! आपकी थाली में सब्जी नहीं 'जहर' हैं!- मुकेश कुमार

लखनऊ। बेमौसम हरी-भरी सब्जियों के देख कर मन प्रसन्न हो जाता है। बैंगनी बैंगन और हरे मटर को देख जी ललचा उठता है। पर क्या हमने कभी सोचा है कि प्रकृति के विरुद्ध जाकर हम जो काम करते हैं, उसका साइड इफेक्ट क्या होता है? नहीं हमारे पास इतनी फुर्सत कहां जो अपने हेल्थ के बारे में सोच सकें। पर नहीं जनाब इस घटना और जानकारी के जानने के बाद आप...

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