आज बिहार उम्मीदों और निराशा के दोराहे पर खड़ा है। पिछले कई दशकों से अगर बिहार दुर्दशा झेल रहा है, तो इसकी वजह सिर्फ मंडल, कमंडल और जंगल राज नहीं है। इसकी असल वजह 'राजनीति' है, जिसमें 'राज' कुछ ज्यादा, तो 'नीति' जरूरत से काफी कम रही है। भारत में शासन को लेकर एक बेहद प्रचलित उक्ति है कि यहां वह सब कुछ जो गलत हो सकता है, वह लगातार...
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मातृत्व अवकाश तो इनका हक है- ऋतु सारस्वत
कामकाजी महिलाओं के मातृत्व अवकाश को तीन से बढ़ाकर आठ माह करने के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री ने बेहतर करार दिया है। उम्मीद है कि जल्दी ही मैटरनिटी बेनिफिट ऐक्ट में संशोधन कर इस प्रस्ताव को अमली जामा पहनाया जाएगा। कामकाजी गर्भवती महिलाओं की सुविधाएं बढ़ाने के लिए फैक्टरी ऐक्ट और कंपनी मामलों से संबंधित कानून में संशोधन करने का अनुरोध भी किया गया है।...
More »मातृत्व अवकाश पर चर्चा जरूरी-- अंजलि सिन्हा
अमेरिकी मूल की बहुद्देशीय कंपनी याहू की सीइओ मारिसा मायेर आगामी दिसंबर में अपनी जुड़वा बेटियों को जन्म देनेवाली हैं. अभी वह अपनी कंपनी के काम में जितनी व्यस्त हैं, उसकी उन्हें खूब प्रशंसा मिल रही है. जिस समय मारिसा ने याहू की नौकरी ज्वॉइन की थी, तब भी वह गर्भवती थीं और नौकरी के दौरान ही उन्होंने अपने पहले बेटे काे जन्म दिया था. अपने इंटरव्यू में उन्होंने यह...
More »झारखंड-- टीका के लिए 10गुणा अधिक हो रही वसूली
रांची: शिशु रोग विशेषज्ञ बच्चों को टीका लगाने के नाम पर अभिभावकों से 10 गुना पैसा वसूलते हैं. बच्चों की जिंदगी सुरक्षित करने के लिए अभिभावक भी डॉक्टरों से बिना सवाल-जवाब के पैसे का भुगतान कर देते हैं. बीसीजी का टीका डॉक्टरों को 50 रुपये में मिलता है. यह मल्टी डोज टीका है, जिसके एक वायल से 10 बच्चों को टीका दिया जा सकता है. जबकि एक बच्चे को टीका...
More »बच्चों की सेहत : कुछ और आगे बढ़े हम-- ज्यां द्रेज
हाल ही में जारी रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन (आरएसओसी) के निष्कर्षों में मुख्यधारा की मीडिया ने कोई खास दिलचस्पी नहीं ली. यह दुखद है, क्योंकि सर्वेक्षण के निष्कर्षों में सीखने के लिए काफी कुछ हैं. तीसरा नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (एनएफएचएस) करीब दस साल पहले 2005-06 में संपन्न हुआ था. चौथे एनएफएचएस के पूरा होने में लगी भारी देरी से भारत के सामाजिक आंकड़े बहुत पुराने हो गये हैं. सौभाग्य...
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