वर्ष 2016 को लेकर जारी की गई संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक सूची में कुल 188 देशों में भारत पिछले साल के 130वें स्थान से एक पायदान नीचे लुढ़ककर 131वें नंबर पर जा पहुंचा है, जबकि नॉर्वे को पहला स्थान मिला है। नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल की आखिरी तिमाही में नोटबंदी और इसके विपरीत असर के बावजूद हमारी कुल सकल आय यानी जीडीपी में 7.1 प्रतिशत की प्रभावशाली...
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जब औरतों के निशाने पर गांधीजी आए -- रामचंद्र गुहा
अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम के अभिलेखागार में काम करते हुए गांधीजी को लिखा गया एक दिलचस्प पत्र मेरे हाथ लगा। यह पत्र 11 युवा महिलाओं ने लिखा था, जो कलकत्ता (अब कोलकाता) की थीं। उस चिट्ठी पर कोई तिथि नहीं लिखी थी, मगर ऐसा लग रहा था कि वह जनवरी, 1939 में लिखी गई थी। चिट्ठी ‘परमपूज्य महात्मा जी' को संबोधित थी, जिस पर सभी महिलाओं ने अपने अलग-अलग हस्ताक्षर...
More »अब खेल हो खुला फर्रुखाबादी - मृणाल पांडे
पिछले महीने से सरकार कभी अच्छे दिनों के पुराने सपने जगाती है, कभी देशभक्ति की दुहाई दे जनता से नोटबंदी के इन बुरे दिनों को झेल ले जाने का अनुरोध करती है। फिर भी जब खराब खबरें आना बंद नहीं होतीं, तो वह पटरी बदल लेती है। उत्तर प्रदेश, पंजाब चुनावों की जनसभाओं में अब लुटियन की सरकारी दिल्ली को, पूर्व कांग्रेसनीत सरकार और उसके करीबी मीडिया को, और अंत...
More »भ्रष्टाचार से लाचार लोकतंत्र!-- चंदन श्रीवास्तव
भ्रष्टाचार की बातें तो बहुत हैं, लेकिन शिकायतें बड़ी ही कम हैं! अब इस उलटबांसी की व्याख्या कैसे हो? क्या हम यह मान लें कि चलो फिर से इस नियम की पुष्टी हुई कि भारत विरोधाभासों का देश है? सार्वजनिक जीवन में नजर आनेवाला विरोधाभास दोहरा अर्थ-संकेत होता है. उसका एक इंगित है कि हमारा तंत्र पाखंड से भरा है और दूसरा इंगित कि अन्याय आठो पहर आंखों...
More »पानी की कहानी कहने वाले पर्यावरण के गुरु का जाना
अनुपम भाई सरलता, सहजता और विनम्रता की ऐसी मूर्ति थे जो प्रकृति, पानी, पर्यावरण और मानवता के बीच एक गहरा संबंध बनाते रहे। वे हमेशा ही बड़ी से बड़ी सच्चाई को बिना किसी से डरे, बिना किसी लालच और द्वेष के निष्पक्ष होकर बोल देते थे। मैंने अपने जीवन में उनके जैसे सहज, सरल किंतु बेबाक लोग कम ही देखे हैं। अनुपमजी ने अपनी जीवन-यात्रा पानी व पर्यावरण को समर्पित कर...
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