लखनऊ. कम तनख्वाह के बावजूद उत्तर प्रदेश में सरकारी कार्यालयों के कई बाबू करोड़पति हैं। कुछ प्रापर्टी डीलिंग का काम करते हैं तो एक के पास बसों का काफिला है। वह ट्रेवल एजेन्सी का काम भी कर रहा है। एक तो कोल्ड स्टोरेज का मालिक है। मलाईदार विभाग में नहीं होने के बावजूद कुछ तो पैसा पैदा करने की मशीन बन गए हैं। एक ने प्रधानाचार्य से मिलकर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति छात्नों की छात्नवृत्ति में करोड़ों रुपए...
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सरकार ने खोला खजाना
पटना। राज्य सरकार ने प्रदेश के गैर सरकारी सहायता प्राप्त प्रारंभिक विद्यालयों तथा अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षकों के कर्मचारियों के वेतन के लिए करीब साढ़े सोलह करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्ति भुगतान के लिए आकस्मिकता निधि से 5.22 करोड़ अग्रिम लेकर खर्च की स्वीकृति दी गयी है। मंगलवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी।...
More »न्याय:कितना दूर-कितना पास
खास बात • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।* • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...
More »बेरोजगारी
एक नजर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर लगातार ऊंची बनी होने के बावजूद भारत अपनी ग्रामीण जनता की जरुरत के हिसाब से मुठ्ठी भर भी नये रोजगार का सृजन नहीं कर पाया है। नये रोजगारों का सृजन हो रहा है लेकिन यह अर्थव्यवस्था के ऊंचली पादान के सेवा-क्षेत्र मसलन वित्त-जगत, बीमा, सूचना-प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के दम पर चलने वाले हलकों में हो रहा है ना कि विनिर्माण और आधारभूत ढांचे के...
More »भ्रष्टाचार
खास बात • ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स(साल २०14) में भारत १७5 देशों के बीच ८५ वें पादान पर रखा गया था। साल 2010 के इंडेक्स में भारत फिसलकर 87 वें स्थान पर जा पहुंचा था।* • साल २००६-०७ में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों ने ८८३ करोड़ रुपये बुनियादी सेवाओं को हासिल करने के लिए घूस में चुकाये।** • साल २००६-०७ में भारत के सबसे गरीब...
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