पिछले सप्ताह से यह सवाल मेरे मन में बार-बार घूम रहा है. पिछले सप्ताह नीति आयोग ने देश के सबसे पिछड़े 101 जिलों की सूची जारी की. इस सूची में सबसे ऊपर यानी देश का सबसे पिछड़ा जिला होने का श्रेय हरियाणा के मेवात जिले को जाता है (आजकल इसका सरकारी नाम जिला मुख्यालय के नाम पर नुहू कर दिया गया है). बिहार के अररिया, छत्तीसगढ़ के सुकमा, उत्तर प्रदेश...
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अस्मिता की राजनीति से परे-- मणींद्र नाथ ठाकुर
भारतीय जनतंत्र में अस्मिता की राजनीति का प्रभाव काफी समय से रहा है. पिछले कुछ वर्षों में ऐसा लगने लगा था कि शायद इसका युग अब समाप्त हो जायेगा. लेकिन अब इसके विकृत रूप के उभार की संभावनाएं बढ़ती दिख रही हैं. बिहार-बंगाल में दंगे, राजपूती शान के नाम पर पद्मावत फिल्म के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन, आरक्षण के लिए विभिन्न जातियों का आंदोलन, दलितों का राष्ट्रव्यापी बंद और राष्ट्रवाद व धर्म...
More »एक साल में 38 हजार बच्चे 28 दिन भी नहीं जी पाते, 5 साल में इतना बढ़ गया शिशु मृत्यु दर
पटना : शिशु मृत्यु दर में अव्वल रहने वाले बिहार में बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है. नीति आयोग और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य की दयनीय स्थिति बताती है. बच्चों की मृत्यु दर कम नहीं हो पा रही. यही वजह है कि प्रदेश में एक साल में 38 हजार बच्चों की मौत हो रही है. 5 साल में...
More »'आनुवंशिक बीमारी' में भी मिलेगी बीमा सुरक्षा : IRDA
नई दिल्ली। रक्त चाप और मधुमेह जैसी आम हो चली बीमारियों को भी आनुवंशिक बीमारी बता बीमा दावा खारिज करने वाली बीमा कंपनियों को इरडा ने बड़ा झटका दिया है। भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने सोमवार को बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी बीमाधारक के बीमा दावे को "आनुवंशिक बीमारी" के नाम पर खारिज नहीं कर सकतीं। इतना ही नहीं, नियामक ने यह...
More »बच्चियों के जीने लायक बने दुनिया-- डॉ सय्यद मुबीन जेहरा
कुछ मौतों का जिक्र हमारी जबान पर इसलिए नहीं आता है कि हम अब बड़ी-बड़ी मौतों पर चिंतन करनेवाले लोग हो गये हैं और हमारे चिंतन का केंद्र बिंदु भी सिर्फ सियासी हो चुका है. इसमें समाज के लिए न तो पहले जगह थी और न ही अब है और अगर यही हालात रहे, तो आगे भी नहीं होगी! जो समाज अपने बचपन से जुड़ी समस्या को लेकर चिंतित नहीं...
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