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प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं आंध्र प्रदेश की महिला किसान

इंडियास्पेंड, 3 मई एक नीम के पेड़ की छाया में अपने छोटे से एक कमरे के घर के सामने पी. मैरी अपने छह महीने के जुड़वां पोते को दुलारती हैं। जैसे ही गर्मी कम होती है और हवा चलती है, मैरी अपने पति मनोहर और सबसे छोटी बेटी श्रीलेखा के साथ पास की एक एकड़ भूमि पर चली जाती हैं। उस जमीन पर उन्होंने एक सप्ताह पहले ही केले की खेती...

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पश्चिम बंगाल में केंद्र व राज्य के बीच तनातनी का खामियाजा भुगत रहे मनरेगा मजदूर

डाउन टू अर्थ, 3 मई  पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बेलमा गांव की 45 वर्षीय जयगुन बीबी की ईद इस बार हमेशा की तरह अच्छी नहीं मनी। वह अपना दर्द बयां करती हैं, “हमारे गांव में जून 2022 से ही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 के तहत मिलने वाला काम बंद है। इस वजह से घर में अब एक पाई भी नहीं बची है। आय का इकलौता...

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इस्मा ने चीनी उत्पादन अनुमान 12 लाख टन घटाया, 328 लाख टन रहने की लगाई उम्मीद

रूरल वॉइस, 27 अप्रैल चीनी उद्योग के शीर्ष संगठन इस्मा (इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन) ने चीनी उत्पादन के अपने पूर्वानुमान में 12 लाख टन की कटौती कर दी है। इस्मा ने अब अपने ताजा अनुमान में कहा है कि चालू विपणन वर्ष में देश में 328 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा। उद्योग संगठन ने इससे पहले 340 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया था। देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य...

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अन्य फसलों की तुलना में दालों की पैदावार लाभ दिखाने में विफल क्यों रही है

द वायर, 26 अप्रैल भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है और आयातक भी. भारत बड़ी मात्रा में दालों और खाद्य तेलों का आयात करता है, जिनका घरेलू स्तर पर आसानी से उत्पादन किया जा सकता है. कम घरेलू उत्पादन के कारण दालों की आयात मात्रा 9.44 प्रतिशत बढ़कर फसल वर्ष 2021-22 के दौरान लगभग 27 लाख टन हो गई, जो 2020-21 में 24.66 लाख टन थी. अपर्याप्त आपूर्ति...

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डाउन टू अर्थ खास: मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति जैसी गलती तो नहीं दोहरा रहे हैं हम!

डाउन टू अर्थ, 24 अप्रैल भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र में दिए एक प्रस्ताव के आधार पर वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया गया है। वैश्विक स्तर पर मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते भारत इससे लाभान्वित हो सकता है। 1960 के दशक में हरित क्रांति के बाद से भारत ने गेहूं और धान पर ही ध्यान केन्द्रित कर दिया था। लेकिन, हाल के समय...

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