SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 3863

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की लापरवाही, एक ही मां की तीनों बेटियां कुपोषित

शहडोल। सरकार जहां कुपोषण मिटाने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है वहीं कुपोषण को मिटाने के लिए जिम्मेदार विभागीय अधिकारी लापरवाहीपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। अभी हाल ही में जिले के गोहपारू ब्लॅाक के खांड गांव का मामला सामने आया है। इस गांव में एक ही मां की कोख से जन्मी तीनों बेटियां कुपोषण का दंश झेल रही हैं। यहां की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने इस ओर गंभीरता नहीं दिखाई...

More »

मिसालः पुणे के गांव में सभी गरीब बच्चों ने पास की जेईई की परीक्षा

पुणे। यहां से करीब 45 किलोमीटर दूर राजगुरुनगर शहर के नजदीक काडस गांव के गरीब बच्चों ने इतिहास रच दिया है। जेईई मेन्स की परीक्षा में 70 बच्चों का चयन हो गया है, जिसे देश के अंडरग्रेजुएट लेवल में सबसे कठिन माना जाता है। एक साल की कड़ी मेहनत के बाद सभी छात्रों का इस परीक्षा के लिए चयन हो गया है। सभी छात्र गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं और...

More »

ग्राम सभा में उपस्थित नहीं हुए तो ग्रामीण को मृत घोषित कर दिया

कोतबा/जशपुर। पंचायत के द्वारा ग्राम सभा में उपस्थित नहीं होने पर ग्रामीण को पंचायत ने मृत घोषित कर उसे शासकीय योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया है। सरपंच का कहना है कि ग्राम सभा में उपस्थित न होने के कारण उसे मृत घोषित किया गया।   पत्थलगांव विकासखंड के पंचायत मयूरनाचा अंतर्गत ग्राम चौकीदारपारा निवासी नान साय और उसकी पत्नी बसंती उरांव को सिपर्ᆬ इसलिए पंचायत के दस्तावेजों में मृत घोषित...

More »

भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें-- मोनिका शर्मा

नीति आयोग के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की ग्यारहवीं इंडिया करप्शन स्टडी-2017 की रिपोर्ट में सामने आया है कि भ्रष्टाचार का जाल आज भी आम आदमी के लिए मुसीबत बना हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल इकतीस फीसद लोगों को स्कूल, अदालत, बैंक या अन्य कामों के लिए दस रुपए से लेकर पचास हजार रुपए तक की रिश्वत देनी पड़ी है। आंकड़े बताते हैं कि 2005 में तिरपन...

More »

परंपरागत तरीकों से सूखे की समस्या को मात देते लोग - पंकज चतुर्वेदी

अभी देश से मानसून बहुत दूर है और भारत का बड़ा हिस्सा सूखे, पानी की कमी व पलायन से जूझ रहा है। बुंदेलखंड के तो सैकड़ों गांव वीरान होने शुरू भी हो गए हैं। एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक, देश के लगभग सभी हिस्सों में बड़े जल संचयन स्थलों (जलाशयों) में पिछले साल की तुलना में कम पानी बचा है। यह सवाल हमारे देश में लगभग हर तीसरे साल खड़ा...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close